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होशंगाबाद - जनभागीदारी के अतिथि शिक्षक आर्थिक संकट में, लॉक डाउन के दौरान की गई वेतन में कटौती


होशंगाबाद - (शेख जावेद) - जहाँ एक और केंद्र एवं राज्य सरकारों का यह आदेश है कि लॉक डाउन के दौरान किसी को काम से ना निकाला जाये और किसी का वेतन ना काटा जाये उसके वाबजूद भी खबर आ रही है कि  जिले के लगभग 13 कालेजों में काम करने वाले जनभागीदारी के अतिथि शिक्षकों को 2 माह से अधिक समय हो गया है वेतन नहीं मिल सका है. लॉक डाउन के चलते कालेजों में अवकाश होने के कारण जनभागीदारी के विषयों में नियुक्त शिक्षकों को कोरोना काल जैसे कठिन समय में वेतन नहीं मिलने के कारण परेशान होना पड़ रहा है.

                        कम वेतन में काम करने वाले जनभागीदारी से नियुक्त शिक्षकों को वेतन ना मिलने के कारण आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जनभागीदारी के कर्मचारियों को वार्षिक और सेमेस्टर पूरे होने पर 2 माह का ब्रेक दिया जाता है इस दौरान परीक्षा कार्य में उनकी सेवाएं ली जाती है जिसके लिए उन्हें मानदेय दिया जाता है.  जिससे उनके भरण पोषण का संकट उत्पन्न नहीं होता है. परन्तु लॉक डाउन के चलते परीक्षायें नहीं होने के कारण इसका लाभ भी इन शिक्षकों को नहीं मिल पा रहा है.

                       गौरतलब हो कि मध्य प्रदेश की पूर्व कांग्रेस  की कमलनाथ सरकार ने अतिथि विद्वानों को मिलने वाले मानदेय में काफी परिवर्तन किया था. इसके चलते कमलनाथ सरकार ने यह निर्णय लिया था कि उन्हें अब कालखंड के हिसाब से मानदेय नहीं दिया जाएगा बल्कि उन्हें 30000 रूपये का न्यूनतम वेतन दिया जाएगा, लेकिन अब मध्य प्रदेश में सरकार बदल चुकी है और पुराने फैसलों पर काम ना होने की ज्यादा संभावना है. ऐसे में सैकड़ों अतिथि विद्वानों का भविष्य संकट में पड़ गया है.

                     कॉलेजों के प्राचार्य निर्देशों और नियमों में उलझे हुए हैं जिससे जनभागीदारी के कर्मचारियों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं. एक अग्रणी कॉलेज के प्राचार्य का कहना है कि इस संबंध में मार्गदर्शन लिया जा रहा है  उनका कहना है कि सभी को १० दिन का वेतन जारी किया गया है आगे जो निर्देश आयेंगे और जो मार्गदर्शन मिलेगा उस हिसाब से काम किया जाएगा . लेकिन तब तक जनभागीदारी के कर्मचारियों की सुध लेने वाला कोई दिखाई नहीं दे रहा है

                 

                   हालांकि उच्च शिक्षा विभाग ने प्रदेश के कॉलेजों में कम वेतन पर काम करने वाले जनभागीदारी शिक्षकों को वेतन देने के निर्देश दिए हैं लेकिन निर्देशों नियमों का हवाला देकर उन्हें केवल 10 दिन का वेतन दिया गया. 

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