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शुगर मिलो द्वारा किये जा रहे प्रदूषण मामले में एनजीटी में सुनवाई 25 अगस्त को

एनजीटी लगा सकती है दोनो शुगर मिलो पर जुर्माना, याचिका में लगाये आरोप निकले जांच में सही

नरसिंहपुर/गाडरवारा -:25 अगस्त 2021- गाडरवारा स्थित नर्मदा शुगर मिल व शक्ति शुगर मिल द्वारा किये जा रहे विभिन्न प्रदूषणों को रोकने व दोनो मिलो पर विधिसम्मत कार्यवाही करने को लेकर फरवरी माह में नागरिक उपभोक्ता मंच के प्रांतीय संयोजक मनीष शर्मा व नरसिंहपुर जिला संयोजक पवन कौरव द्वारा एनजीटी दिल्ली में एक जनहित याचिका दायर कर प्रदूषण को रोकने व पर्यावरण प्रदूषण करने पर दोनो शुगर मिलो पर कार्यवाही करने की माग की गई थी । कोरोनो काल के कारण मिल संचालन के समय पूरे मामले में सुनवाई नही हो सकी थी 24 मई को इस पूरे मामले की सुनवाई दिल्ली एनजीटी की प्रिंसिपल बेंच में हुई जिसमें बेंच ने 6 सप्ताह में पूरे मामले में कलेक्टर नरसिंहपुर को एक कमेटी बनाकर जांच कर जांच रिपोर्ट 6 सप्ताह में माननीय एनजीटी की दिल्ली प्रिंसिपल बेंच के समक्ष सौंपने का आदेश दिया था जिसपर जांच कमेटी द्वारा 07 जुलाई को दोनो ही शुगर मिलो में जाकर पूरे मामले की जांच कर 31 जुलाई को 21 पेजो की जांच रिपोर्ट बनाकर एनजीटी के समक्ष सौंपी गई है । जिसमे याचिकाकर्ता द्वारा लगाए गए आरोपी सही निकले व अब इस पूरे मामले में अगली सुनवाई 25 अगस्त बुधवार को होगी आशंका यह जताई जा रही है कि जांच में आरोप सही निकले है व जांच रिपोर्ट एनजीटी के समक्ष भी सबमिट हो चुकी है याचिकाकर्ताओं की माने तो अब इस पूरे मामले में एनजीटी 25 अगस्त को सुनवाई में नर्मदा शुगर मिल सालीचौका व शक्ति शुगर मिल कौंडिया के ऊपर भारी भरकम जुर्माना अधिरोपित कर सकती है क्योंकि मामला पर्यावरण के प्रदूषण का है ।

जांच रिपोर्ट के अनुसार जांच में पाई गई ये अनियमिततायें
याचिकाकर्ता मनीष शर्मा व पवन कौरव द्वारा जो आरोप याचिका में लगाए गए थे वह सही पाए गए एवं आरोप के अलावा भी अनेको खामियां ( अनियमितता ) शुगर मिलो में पाई गई । जानकारी के मुताबिक मिल खोलने सम्बन्धी अनुमति लेते वक्त ये जानकारी देनी पड़ती है कि शुगर मिल की जमीन के कुल क्षेत्रफल में से 25 प्रतिशत जगह में वृक्षारोपण(ग्रीन बेल्ट) करना अनिवार्य होता है जांच के दौरान मिल में नियमानुसार जगह में वृक्षारोपण नही पाया गया , वही वायु प्रदूषण अधिनियम की धारा 21 , 37 , 39 जल प्रदूषण की धारा 25 , 44 , 45A का शुगर मिल संचालको द्वारा उल्लंघन किया जा रहा था । वही रिपोर्ट में पूर्व में भी शुगर मिलो के विरुद्ध हुई शिकायतों के बारे में लिखा गया है । वही शुगर मिलो के पास पर्याप्त जमीन नही है जिससे वह पानी को शुद्ध कर सके जिसकी वजह से प्रदूषित पानी नदी व नाले में फैला हुआ पाया गया । वही वायु प्रदूषण को कंट्रोल करने के पर्याप्त साधन शुगर मिल संचालको के पास उपलब्ध नही पाए गए , वही शुगर मिल से निकलने वाली डस्ट ( मरी ) को स्टॉक मेंटनेंस जिससे करने के भी पर्याप्त साधन मिलो के पास जांच में उपलब्ध नही पाए गए जिससे धूल प्रदूषण ना हो । वही जीरो डिस्चार्ज जो शर्ते जिनके तहत शुगर मिलो का संचालन होना चाहिए उनका भी पालन शुगर मिलों द्वारा नही किया जा रहा है जांच कमेटी द्वारा जांच रिपोर्ट में इसके अलावा अन्य भी अनियमितताऐं पाई गई है जिनको सुधारने के लिए सुझाव भी कमेटी द्वारा दिये गए है । 
ये अधिकारी रहे थे जांच में शामिल
एनजीटी के आदेश पर कलेक्टर नरसिंहपुर द्वारा कमेटी गठित की गई थी जिसमे जांच के दौरान तत्कालीन गाडरवारा एसडीएम प्रमोद सेन गुप्ता , आलोक कुमार जैन रीजनल ऑफिसर पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड जबलपुर , ए. पी. सिंह गहिरवार मुख्य नगरपालिका अधिकारी नगरपालिका परिषद गाडरवारा , डॉ. एस के खरे साइंटिस्ट पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड , ये अधिकारी जांच कमेटी में शामिल रहे जिनके द्वारा पूरे मामले की जांच कर जांच रिपोर्ट बनाई गई एवं एनजीटी के समक्ष 31 जुलाई को जांच कमेटी ने रिपोर्ट सौंपी । वही शुगर मिल बन्द होने के कारण भी भौतिक सत्यापन शुगर मिलो का नही हो सका लेकिन पुरानी अनियमितता को देखते हुए भी जांच रिपोर्ट बनाई गई । हालांकि जांच होने के बाद भी नर्मदा शुगर मिल द्वारा अपने इथेनॉल प्लांट द्वारा लगातार आज भी प्रदूषण किया जा रहा है जो रुकने का नाम नही ले रहा है ।

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