Breaking News

कोरोना इम्पेक्ट - लॉक डाउन के चलते तरबूज उत्पादक और व्यापारी तबाही की कगार पर


कोरोना इम्पेक्ट - (शेख जावेद अजयसिंह राजपूत) - सम्पूर्ण विश्व कोरोना महामारी से युद्ध स्तर पर जूझ रहा है भारत भी इससे अछूता नहीं रह सका. सम्पूर्ण भारत को सुरक्षा की द्रष्टि से 21 दिनों तक लॉक डाउन किया गया है. लॉक डाउन के वजह से सब कुछ बंद है जिन्दगी मानो थम सी गयी है. लोग अपने अपने घरों में कैद हैं.
कोरोना महामारी के खिलाफ उठाये जा रहे क़दमों से व्यापारिक गतिविधियाँ ठप्प पड़ चुकी हैं न तो माल कहीं से आ रहा है और न ही जा रहा है.

                           ग्रीष्म ऋतु का शुभारम्भ हो चूका है और लोगों को गर्मी से राहत देने वाला और लोगों की प्यास बुझाने वाला तरबूज आज खुद प्यासा है. तरबूज का उत्पादन करने वाला किसान और तरबूज का व्यापार करने वाले व्यापारी दोनों तबाही की कगार पर पहुँच चुके हैं. किसानों की फसल नहीं बिकने से उनके खेत में ही खराब होने की समस्या उत्पन्न हो गई है. जिससे किसानों को भारी नुकसान की सम्भावना जताई जा रही है. उनके जीवन यापन पर खतरा मंडरा रहा है. तरबूज की फसल पर आश्रित किसान भविष्य के बारे में सोचकर ही सहमे हुए हैं.

                         होशंगाबाद जिले के तवा डैम के आस पास बसे गांव तवानगर, रानीपुर, दौड़ी, ज़ुनकार, कोटमी, हीरापुर के आदिवासी मुख्यतः तरबूज की फसल पर निर्भर रहते हैं जो इस समय सबसे ज्यादा परेशान हैं. इनकी परेशानी जल्दी समाप्त होती नज़र भी नहीं आ रही है.

                          होशंगाबाद के तरबूज व्यापारी शेख जावेद, गोलू तिवारी, घुडन बाबा ने बताया कि यहां से बाहर दूसरे प्रदेशों में जैसे महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कई जिलों में तरबूज की खपत होती है वह  इस लॉक डाउन में सब बन्द है. आवागमन न होने से किसानों से माल नहीं आ रहा है. व्यापार बिलकुल ठप्प हो गया है.

                        हालाँकि सरकार ने सभी किसानों को आश्वासन दिया है कि सरकारी सहायता पहुचाई जाएगी परन्तु सामान्यतया होने वाले व्यापार और सहायता में काफी फर्क होता है. इन्ही आशंकाओं के चलते तरबूज उत्पादक और व्यापारी केवल अपने होने वाले नुक्सान को देख कर दुखी होने के अलावा और कुछ नहीं कर पा रहे हैं.

इनका कहना है - 

व्यापारी शेख जावेद - होशंगाबाद में तरबूज की अच्छी खासी खपत होती है तवा नदी के किनारे वाले क्षेत्रों से मीठा तरबूज आता है और मध्यप्रदेश से बाहर भी भेजा जाता है. परन्तु लॉक डाउन के चलते इस बार सब कुछ बंद है जिससे भारी नुक्सान की सम्भावना है.

किसान विनोद निवासी तवानगर - होशंगाबाद जिले के तवानगर निवासी किसान विनोद अपनी व्यथा कहते हुए बताते हैं की उनका परिवार तरबूज की खेती पर ही गुजारा करता है अब इस संकट की घड़ी में क्या होगा भगवान जाने.

किसान जीवन पवार - हीरापुर निवासी किसान जीवन पवार की व्यथा भी कुछ ऐसी ही है उन्होंने कहा कि मेरे जैसे कई और किसान हैं जो तरबूज की खेती करते हैं और इस समय जब सब कुछ बंद है तो सभी के ऊपर खतरे के बदल मंडरा रहे हैं.



कोई टिप्पणी नहीं