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गोटेगांव शासकीय चिकित्सालय के लेखापाल अप डाउन संस्कृति से ग्रसित

गोटेगांव  - गोटेगांव नगर की स्वास्थ व्यवस्था स्टेचर  पर 
गोटेगांव शासकीय चिकित्सालय के लेखापाल अप डाउन संस्कृति से ग्रसित हैं उनकी इस अप डाउन संस्कृति से आम जनों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है वही चिकित्सालय के कर्मचारी भी उनकी लेट लतीफ और लापरवाही से काफी परेशान है।

आपको बता दें कि गोटेगांव शासकीय चिकित्सालय में पदस्थ लेखापाल नरसिंहपुर से आना जाना करते हैं  लेखापाल अपनी सुबिधा अनुसार ट्रेन से आते हैं और शाम को अपनी सुविधानुसार समय से पूर्व ट्रेन पकड़कर घर चले जाते हैं लेखापाल की  इस हीला हवाली के चलते शासकीय चिकित्सालय के कर्मचारियों का वेतन भी समय पर नहीं मिल पा रहा है जिससे कर्मचारी काफी परेशान है।
    वही गोटेगांव का शासकीय चिकित्सालय  डॉ की कमी का दंश बरसों से झेल रहा है गोटेगांव शासकीय चिकित्सालय की चिकित्सा व्यवस्था विगत एक दशक से एक डॉक्टर के भरोसे चल रही है गोटेगांव की  क्षेत्रीय स्थिति को देखते हुए यह कम से कम 10 डॉक्टर होने चाहिए लेकिन सिर्फ बीएमओ के सहारे पूरी स्वास्थ व्यवस्था चल रही है, यहां डॉक्टरों की कमी के चलते बरहटा से डॉ गहलवार सप्ताह में 2 दिन सेवाएँ देने आते हैं।
      गोटेगांव शासकीय चिकित्सालय में प्रतिदिन सेकड़ो मरीज आसपास के क्षेत्रों से इलाज कराने आते है लेकिन डॉक्टरों की कमी के चलते मरीजों को माकूल स्वास्थ सेवा उपलब्ध नहीं हो पा रही है।
       प्रशासन की माने तो गोटेगांव चिकित्सालय में कोई डॉक्टर आने को तैयार ही नहीं है, गोटेगांव चिकित्सालय के चार डॉक्टर मरीजो के  परिजनों द्वारा की गई मारपीट की वजह से ट्रांसफर करा कर जा चुके  हे वही तीन डॉक्टरों ने मारपीट की वजह से ही नौकरी छोड़ दी आए दिन डॉक्टरों के साथ हो रही मारपीट की घटनाओं की वजह से गोटेगांव चिकित्सालय में कोई डॉक्टर आना नहीं चाहता। बीएमओ डॉ सिंह के साथ भी मारपीट की घटना हो चुकी है।
       नियम अनुसार गोटेगांव चिकित्सालय में  कम से कम 10 डॉक्टर और 12 वार्ड बॉय  पदस्थ होना चाहिए लेकिन गोटेगांव चिकित्सालय मैं एक डॉक्टर और चार वार्ड बॉय ही पदस्थ है।
 कर्मचारियों की लेट लतीफी और लापरवाही पर  डॉ सिंह ने कहा कि कर्मचारियों को कई बार हिदायत दी जा चुकी है कि समय पर आएं लेकिन कोई कर्मचारी सुनने को तैयार नहीं है।

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