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खरीफ फसल मक्का की कीटों से सुरक्षा

मक्का खरीफ ऋतु में बोई जाने वाली फसल है। यह पोषक तत्वों से भरपूर है इसे अनेक प्रकार से खाया जाता है। लेकिन इस फसल पर अनेक प्रकार के कीड़े आक्रमण करते हैं जिनकी वजह से इसकी पैदावार तथा गुणवत्ता में कमी आ जाती है। इस फसल में लगने वाले कीड़ों का विवरण तथा उनका प्रबंधन इस प्रकार है –
तना छेदक 
यह मक्का का सबसे अधिक हानिकारक कीट है फसल को नुकसान सुंडियों द्वारा होता है। इसकी सुण्डियां 20-25 मि.मी. लम्बी और गन्दे से स्लेटी सफेद रंग की होती है। जिसका सिर काला होता है और चार लम्बी भूरे रंग की लाइन होती है। इसकी सुंडिया तनों में सुराख करके पौधों को खा जाती है। जिससे छोटी फसल में पौधों की गोभ सूख जाती है, बड़े पौधों में ये बीच के पत्तों पर सुराख बना देती है। इस कीट के आक्रमण से पौधे कमजोर हो जाते है, और पैदावार बहुत कम हो जाती है। इस कीट का प्रकोप जून से सितम्बर माह में ज्यादा होता है।
रोकथाम
मक्का की फसल लेने के बाद, बचे हुए अवशेषों, खरपतवार और दूसरे पौधों को नष्ट कर दें।
ग्रसित हुए पौधे को निकालकर नष्ट कर दें।
इस कीट की रोकथाम के लिए फसल उगने के10वें दिन से शुरू करके 10 दिन के अन्तराल पर 4 छिड़काव इस नीचे दिये गए ढंग से करना चाहिए।
पहला छिड़काव 200 ग्राम कार्बोरिल 50 (सेविन) को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से फसल उगने के 10 दिन बाद करें।
दूसरा छिड़काव 300 ग्राम कार्बोरिल 50 को 300 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से फसल उगने के 20 दिन बाद करें।
तीसरा छिड़काव फसल उगने के 30 दिन बाद 400 ग्राम कार्बोरिल 50 को 400 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें।
चौथा छिड़काव उगने के 40 दिन बाद तीसरे छिड़काव की तरह ही करें।
चुड्रा (थ्रिप्स)
ये भूरे रंग के कीट होते है जो पत्तों से रस चूसकर फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। ये छोटे पौधों की बढ़वार को रोक देते हैं। ग्रसित पौधों के पत्तों पर पीले रंग के निशान पड़ जाते हैं। ये कीट फसल को अप्रैल से जुलाई तक नुकसान पहुंचाते हैं।
हरा तेला
ये हरे रंग का कीट होता है। इसके शिशु व प्रौढ़ पत्तियों की निचली सतह से रस चूसते रहते हैं। ये भी अप्रैल से जुलाई तक फसल को नुकसान पहुंचाते है।
रोकथाम
चुड्रा और हरा तेला की रोकथाम के लिए 250 मिली मैलाथियान 50 ई.सी. को 250 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
खेत के आसपास उगे खरपतवारों को नष्ट कर दें।
सैनिक कीट
फसल को नुकसान सुंडियों द्वारा होता है छोटी सुंडियां गोभ के पत्तों को खा जाती हैं और बड़ी होकर दूसरे पत्तों को भी छलनी कर देती हैं ये कीट फसल में रात को नुकसान करते हैं प्रकोपित पौधों में प्राय: इस कीट का मल देखा जाता हैं ये कीट फसल को सितम्बर-अक्टूबर में ज्यादा नुकसान
पहुंचाते है।
टिड्डा
इसे फुदका या फड़का भी बोलते है। क्योंकि ये फुदक-फुदक कर चलते हैं ये कीट भूरे मटमैले से रंग के होते है। जब पौधे छोटी अवस्था में होते हैं तब इसका नुकसान फसल में ज्यादा होता है।
रोकथाम- सैनिक कीट और फुदका की रोकथाम के लिए 10 कि.ग्रा. मिथाइल पैराथियान 2 प्रतिशत चूर्ण प्रति एकड़ के हिसाब से भुरकें।
बालों वाली सुंडियां
फसल को नुकसान सुंडियों द्वारा होता है जब ये सुंडियां छोटी अवस्था में होती हैं तो पत्तियों की निचली सतह पर इक्कठी रहती है तथा पत्तों को छलनी कर देती हैं। जब ये बड़ी अवस्था में होती हैं ये सारे खेत में इधर-उधर घूमती रहती हैं। और पत्तों को खाकर नुकसान पहुंचाती है।
रोकथाम:
फसलों का निरीक्षण अच्छी तरह से करें तथा कातरे के अण्ड समूहों को नष्ट कर दें।
आक्रमण के प्रारंभ में छोटी सुंडियां कुछ पत्तों पर अधिक संख्या में होती हैं। इसलिए ऐसे पत्तों को सुंडियों समेत तोड़कर जमीन में गहरा दबा दें या फिर मिट्टी के तेल के घोल में डालकर नष्ट कर दें।
कातरा (कम्बल कीड़ा) की बड़ी सुण्डियों को भी इक्कठा कर जमीन में गहरा दबा दें या मिट्टी के तेल में डालकर नष्ट कर दें।
खेत के आसपास खरपतवार को नष्ट कर देें।
खेत की गहरी जुताई करें जिससे जमीन में छुपे हुए प्यूपा बाहर आ जायें और पक्षियों द्वारा खा लिए जायें।

बड़ी सुंडियों की रोकथाम के लिए 250 मि.ली. डाईक्लोरोवॉस 76 ई.सी. या फिर 500 मि.ली. क्विनालफॉस 25 ई.सी. को 250 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़कें।

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