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किसानों को नहीं प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की जानकारी

नई दिल्ली- किसान अब तक प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के ब्योरे से अनजान हैं। जलवायु जोखिम प्रबंधन कंपनी (डब्ल्यूआरएमएस) के एक सर्वे में यह हकीकत सामने आई है। हालांकि, सरकार और बीमा कंपनियां इसकी पहुंच बढ़ाने का प्रयास कर रही हैं।
     सर्वे की रिपोर्ट में कहा गया है कि कई राज्यों मे पीएमएफबीवाई के तहत नामांकित किसान काफी संतुष्ट हैं। इसकी वजह किसानों को सहायता के लिए उचि तरीके से क्रियान्वयन, बीमा कंपनियों की भागीदारी और बीमित किसानों के एक बड़े तबके को भुगतान शामिल है।
     पीएमएफबीवाई की शुरुआत 2016 में हुईथी। मौजूदा दौर में यह जलवायु एवं अन्य जोखिम से कृषि बीमा का एक बड़ा जरिया है। यह योजना पिछली कृषि बीमा योजनाओं का सुधरा हुआ रूप है। योजना के तहत न केवल लोन लेने वाले किसानों को सबसिडी वाली दरों पर बीमा दिया जाता है, बल्कि जिन किसानों ने लोन नहीं लिया है, वे भी इसका लाभ उठा सकते है।
महज 29 फीसदी किसानों को जानकारी
वेदर रिस्क मैनेजमेंट सर्विसेज (डब्ल्यूआरएमएस) ने कहा, ‘हाल मेंू आठ राज्यों (उप्र, गुुजरात, ओड़ीशा, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, नगालैंड, बिहार और महाराष्ट्र ) में बेसिक्स द्वारा किए गए सर्वे में यह तथ्य सामने आया कि जिन किसानों से जानकारी ली गई, उनमें से केवल 28.7 प्रतिशत की पीएमएफबीवाई की जानकारी है।’
किसानों की शिकायत
सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक किसानों की शिकायत थी कि लोन न लेने वाले किसानों के नामांकन की प्रक्रिया जटिल है। उन्हें स्थानीय राजस्व विभाग से बुवाई का प्रमाणपत्र और जमीन का प्रमाणपत्र लेना पड़ता है, जिसमें काफी समय लगता है। इसके अलावा बैंक शाखाओं और ग्राहक सेवा केन्द्र भी हमेशा नामांकन के लिए उपलब्ध नहीं होते क्योंकि उनके पास पहले से काफी काम है। किसानों को यह नहीं बताया जाता कि उन्हें क्लेम क्या मिला है या क्यों नहीं मिला है। उनके दाबे की गणना का तरीका क्या है। रिपोर्ट के मुताबिक 40.8 प्रतिशत लोग औपचारिक स्रोतों, कृषि विभाग, बीमा कंपनियां या ग्राहक सेवा केंद्रों से सूचना जुटाते है।

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