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गरीबों को भूमि पट्टा दिलाने की मांग तेज़, जन एकता समिति ने एसडीएम और सीएमओ को सौंपा ज्ञापन


नरसिंहपुर/गोटेगांव:- शासन की भूमि पट्टा योजना के सुचारु क्रियान्वयन और पात्र गरीब परिवारों को लाभ दिलाने की मांग को लेकर जन एकता समिति श्रीधाम ने मंगलवार को एसडीएम और नगर पालिका सीएमओ को ज्ञापन सौंपा। समिति ने आरोप लगाया कि गोटेगांव नगर के 15 वार्डों तथा आसपास के ग्राम — विशेषकर बागासपुर — के पात्र नागरिक जानकारी के अभाव में वंचित रह रहे हैं, जबकि शासन ने भूमि पट्टा वितरण के स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं।

समिति ने बताया कि कलेक्टर कार्यालय शहरी विकास नरसिंहपुर के पत्र क्रमांक 582/डूडा/2025 दिनांक 20 नवंबर 2025 तथा नगरीय प्रशासन एवं आवास विभाग मंत्रालय भोपाल के निर्देशानुसार भूमिहीन गरीब परिवारों को पट्टा दिए जाने की प्रक्रिया शुरू की गई है। इसके तहत 31 दिसंबर 2020 तक शासकीय भूमि पर निवासरत पात्र लोगों का सर्वे कर पट्टा प्रदान किया जाना है। सर्वे दल को 13 दिसंबर 2025 तक सूची तैयार कर 14 दिसंबर को प्रारंभिक सूची प्रकाशित करने के निर्देश दिए गए हैं।

*जानकारी के अभाव पर नाराजगी*
जन एकता समिति ने कहा कि शासन के आदेशों के बावजूद वार्डवार जानकारी न तो जनप्रतिनिधियों और न ही नागरिकों तक पहुँचाई गई है। समिति ने मांग की कि योजना की जानकारी वार्ड प्रभारियों, प्रेस, पब्लिक अनाउंसमेंट सिस्टम और अन्य माध्यमों से सार्वजनिक की जाए, ताकि कोई भी पात्र व्यक्ति वंचित न रहे।

समिति ने उन वार्डों का विशेष उल्लेख किया, जहां वर्षों से एससी-एसटी व गरीब परिवार निवासरत हैं, परंतु उनके पास भूमि संबंधी दस्तावेज नहीं हैं। इनमें गांधी वार्ड, आजाद वार्ड, बजरंग वार्ड, हरदौल वार्ड और गुरुनानक वार्ड प्रमुख हैं।

*पूर्व में आवेदन करने वालों को हुआ आर्थिक नुकसान*
ज्ञापन में यह भी कहा गया कि कई नागरिकों ने पूर्व में लोकसेवा केंद्र व ऑनलाइन माध्यम से आवेदन किए थे, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा, जबकि उसके बाद भी उन्हें पट्टा प्राप्त नहीं हुआ। समिति ने मांग की कि पहले से उपलब्ध आवेदनों व सूचियों को आधार बनाकर नई सूची तैयार की जाए और उसे सार्वजनिक किया जाए।

*समयसीमा बढ़ाने की मांग, आंदोलन की चेतावनी*
समिति ने प्रशासन से भूमि पट्टा प्रक्रिया की समयसीमा बढ़ाने की मांग की, यह कहते हुए कि जागरूकता और सर्वे के लिए निर्धारित समय अत्यंत कम है। समिति ने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन समय पर ठोस पहल नहीं करता है, तो वे आंदोलनात्मक कदम उठाने के लिए बाध्य होंगे।

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