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कलयुग में भगवान का केवल मात्र सुमिरन करने से ही भवसागर को पार किया जा सकता है:-पं महेंद्र कृष्ण जी महाराज


नरसिंहपुर/गोटेगांव:- 23 फरवरी2021(आशीष दुबे)- परीक्षित का जन्म,कलियुग का प्रवेश, कर्दम ऋषि व देवाहुति के विवाह के बाद जन्मे कपिल भगवान की कथा का सारगर्भित वृतांत बताया।

गोटेगांव के शिक्षक कालोनी में जारी श्रीमद्भागवत कथा में कथावाचक पं महेंद्र कृष्ण जी महाराज ने दूसरे दिन परीक्षित का जन्म,कलियुग का प्रवेश, कर्दम ऋषि व देवाहुति के विवाह के बाद जन्मे कपिल भगवान की कथा का सारगर्भित वृतांत सुनाया। उन्होंने बताया कि कर्म के अनुसार मनुष्य जन्म मिलता है तब जन्म से मृत्यु तक जीव सुख की तलाश में रहता है उसे वह सुख केवल भगवत प्रेम से ही प्राप्त होता है।

दूसरे दिन की कथा के प्रारम्भ कथावाचक पं महेंद्र कृष्ण जी महाराज ने प्रेमाभाव का विस्तार से वर्णन कर समझाया, कलयुग में भगवान का केवल मात्र सुमिरन करने से ही भवसागर को पार किया जा सकता है। कथा में परीक्षित जन्म का सविस्तार से वर्णिन किया। कथा के अंत में कपिल चरित्र का भी वर्णन किया।

कपिल भगवान ने माता देवहूति से कहा कि ये आसक्ति ही सुख दुख का कारण है। यदि संसार में ये आसक्ति है, तो दु:ख का कारण बन जाती है। यही आसक्ति भगवान और भक्ति में हो जाए तो मोक्ष का द्वार खुल जाता है।ऋषभ देव के चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि मनुष्य को ऋषभ देव जी जैसा आदर्श पिता होना चाहिए। जिन्होंने अपने पुत्रों को समझाया कि इस मानव शरीर को पाकर दिव्य तप करना चाहिए, जिससे अंत:करण की शुद्धि हो तभी उसे अनंत सुख की प्राप्ति हो सकती है। भगवान को अर्पित भाव से किया गया कर्म ही दिव्य तप है। कथा में महाराज द्वारा कई भजनों की प्रस्तुतियां दी गई।

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