होशंगाबाद - रेज्ड बेड प्लांटिंग एक उपयोगी कृषि यंत्र, कृषि वैज्ञानिको ने कृषि यंत्र को अपनाने की दी किसानो को सलाह
होशंगाबाद/12,जून, 2020/-(अजयसिंह राजपूत)- कृषि विज्ञान केन्द्र गोविंदनगर होशंगाबाद के वैज्ञानिक डॉ.संजीव मुमार गर्गनेे ने किसानो को सलाह दी है कि वे रेज्ड बेड प्लांटिंग कृषि यंत्र को अपनाये। उन्होंने बताया है कि रेज्ड बेड प्लांटिंग तकनीक प्राकृतिक संसाधनो के संरक्षण की विशेष तकनीक है इसमें खेत पारंपरिक तरीके से तैयार किया जाता है।
मेड़ बनाकर सोयाबीन व अन्य फसलों की बुवाई की जाती है इस पद्धति में रेज्ड बेड प्लान्टर मशीन का प्रयोग मेंड़, नाली बनाने एवं बुवाई के लिए किया जाता है। इस पद्धति से अत्याधिक वर्षा की स्थिति में जहाँ खेत से अतिरिक्त जल की निकासी आसानी से होती है वहीं अल्प वर्षा की स्थिति में खेत में नमी का संरक्षण भी होता है जिससे फसल सुरक्षित रहती है, इससे अधिक जलभराव वाली भूमि में भी उपज प्राप्त की जा सकती है इस पद्धति में कम बीज का प्रयोग होता है तथा फसल की वृद्धि व अंकुरण अच्छा होता है। रेज्ड बेड पद्धति से उगाई गई फसल में खरपतवार नियंत्रण हस्त चलित हैंड व्हील-हो, स्वचलित यांत्रिक वीडर, ट्रेक्टर चलित निदाई यंत्र द्वारा किया जा सकता है।
रेज्ड बेड प्लान्टर से सोयाबीन, अरहर के बाद गेहू, मटर, चना फसलो को उसी बेड पर भूमि की जा सकती है एक फसल के बाद दूसरी फसल की बुवाई हेतु उपयोग किया जाता है, उन्हें आकार देने की आवश्यकता होती है, बुवाई मेड़ो पर होने के कारण अति वर्षा के समय पौधे गिरने की संभावना कम होती है और फसल अधिक मजबूत और विकसित होती है जिससे उत्पादन अधिक प्राप्त होता है।
किसान भाईयो से कहा है कि वे इस बात का ध्यान रखे कि खेत में पानी इकट्ठा न होने पाये, पानी इकट्ठा होने से पौधो के पीले पड़ने एवं गलने की संभावना बढ़ जाती है जिससे पौधो का विकास अवरूद्ध हो जाती है जिससे सोयाबीन की पैदावार पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है।
इस समस्या के समाधान हेतु किसान भाई रेज्ड बेड पद्धिति को अपनाकर प्रतिकूल अवस्थाओं से फसल की रक्षा कर फसल से वांछित उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। रेज्ड बेड पद्धति के द्वारा खेतो में बनी नालियो से खेत से अतिरिक्त पानी निकल जाता है तथा पानी की कमी की अवस्था में बंण्ड में पानी संरक्षित हो जाता है साथ ही पोषक तत्वों की बचत एवं खरपतवार भी अपेक्षाकृत कम उगते हैं इससे बीज उचित दूरी पर तथा उचित गहराई पर बोये जाते है इससे बीज से बीज की दूरी एवं पंक्ति से पंक्ति की दूरी निश्चित की जा सकती है।
रेज्ड बेड प्लांटिंग पद्धति के प्रयोग से लगभग 20 प्रतिशत बीज की बचत होती है। इस पद्धति से बुवाई में 25 से 30 प्रतिशत पानी की भी बचत होती है तथा मेड बनाकर सोयाबीन व अन्य सब्जियां की बुवाई की जा सकती है। इस पद्धति में एक विशेष प्रकार की मशीन का प्रयोग नाली बनाने एवं बुवाई के लिए किया जाता है, मेड़ो के बीच की नालियों से सिंचाई की जाती है तथा बरसात में जल निकासी का काम भी इन्ही नालियो से होता है।
इस पद्धति से गेहूं, चना की फसल को गन्ने की फसल के साथ अंत:फसल के रूम में लिया जा सकता है। इसमें बीज से बीज की दूरी तथा पंक्ति से पंक्ति की दूरी को निश्चित किया जा सकता है। रेज्ड बेड का पौधा अधिक मजबूत होता है तथा अधिक विकसित होता है जिससे उत्पादन अधिक प्राप्त होता है। फसल पर पाले का प्रभाव कम पड़ता है तथा फसल कम गिरती है।
Mujhe ek masin
जवाब देंहटाएं