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होशंगाबाद - मक्का को फॉल आर्मी वर्म से बचाने के लिए किसान भाईयो को कृषि वैज्ञानिको ने दी सलाह




होशंगाबाद/23,जून, 2020/-(अजयसिंह राजपूत)- जिले में मक्का की फसल को फॉल आर्मी वर्म से बचाने के लिए किसानो को कृषि महाविद्यालय होशंगाबाद के कृषि वैज्ञानिक डॉ.अरूण कुमार चौधरी, डॉ.नेहा शर्मा एवं डॉ.विकास जैन ने संयुक्त रूप से सलाह जारी की है। 


          जारी सलाह के अनुसार किसानो को अवगत कराया गया है कि फॉल आर्मी वर्म फसल पर एक फौज (समूह) के रूप में आक्रमण करता है तथा 30 से 35 डिग्री सेंटीग्रेट तापक्रम व 70 प्रतिशत से अधिक आर्दता पर यह गंभीर नुकसान करने की क्षमता रखता है। यह कीट बहुभक्षी होता है जो कि मक्का के अतिरिक्त गन्ना, ज्वार, बाजरा, धान की फसल को नुकसान पहुँचाता है।

          कृषि वैज्ञानिको ने बताया है कि इस कीट की मादा अपने अंडे एक समूह में 50 से अधिक की संख्या में पत्ती की निचली सतह पर देती है जोकि एक मिट्टी के रंग के पदार्थ से ढंके होते है एवं ये अंडे शंकु आकार के होते हैं। प्रौढ़ मादा शलभ सैकड़ो किलोमीटर तक उड़कर अंडे देने की क्षमता रखती है। नई इल्ली प्राय: हलके पीले रंग की होती है जिसका सर प्रथम केंचुली उतरने के बाद लाल भूरा हो जाता है व उस पर काले रंग के उलटे वाय का आकार का निशान होता है यही उसकी असली पहचान है जोकि इसे तम्बाकू कि इल्ली से अलग कर पहचानने में मदद करती है। वयस्क इल्ली लगभग 30 से 40 मि.मी. लम्बी होती है।

     पौधे की प्रारंभिक अवस्था में इल्लियां समूह में पत्तियां खुरचकर हरा भाग खाती है जिसके फलस्वरूप सफेद धब्बे दिखाई देने लगते है एवं पुष्प अवस्था में ये पूरे पौधे की पत्तियां, नर मंजरी एवं भुट्टो को नुकसान पहुँचाती है जिसके कारण पौधो में केवल डंठल एवं पत्तियों का मध्य शिरा भाग बचता है एवं ये प्राय: पोंगली में छिपी रहती है। अनुकूल मौसम होने पर यह कीट 35 से 40 दिन में जीवन चक्र पूरा कर लेता है तथा 1 वर्ष में 6 से 7 पीढि़या पूरी करने की क्षमता रखता है।

     कृषि वैज्ञानिको ने उक्त जानकारी देते हुए किसानो से कहा है कि फसल अवधि में कीट का प्रकोप पहचानने हेतु 1 एकड़ में 5 फेरोमोन प्रपंच लगाये और फसल की निगरानी करे। इस कीट के प्रकोप से पौध अवस्था में 3 से 4 सप्ताह तक 5 प्रतिशत नुकसान पोंगली अवस्था अर्थात 5 से 7 सप्ताह की अवस्था में 20 प्रतिशत नुकसान एवं नर मंजी एवं भुट्टे बनने की अवस्था अर्थात 9 से 10 सप्ताह में 10 प्रतिशत नुकसान होने की संभावना रहती है। 

          किसानो से कहा गया है कि फसल की बुवाई से पहले खेत की गहरी जुताई करे जिससे कि फॉल आर्मी वर्म कीट की शंखी मिट्टी की सतह पर आ जाए ताकि परभक्षी कीट उन्हें खाकर नष्ट कर सके। समय पर बुवाई करे, मानसून पूर्व सूखी बोनी ज्यादा प्रभावी है अथवा मानसून वर्षा के साथ ही बुवाई करें। एक क्षेत्र में बोनी एक साथ करे। 

         मक्का के साथ अंतरवर्ती दलहनी फसले जैसे अरहर, मूंग अथवा उड़द लगाये। पक्षियो के बैठने के लिए टी आकार की खूंटिया 30 दिन की अवस्था तक 100 खूंटी प्रति एकड़ की दर से लगाये। नेपियर घास या सूरजमुखी ट्रेप फसल के तौर पर मक्के के खेत के चारो और लगाये। खेत की सफाई का ध्यान रखे एवं संतुलित मात्रा में उर्वरको का प्रयोग करे, विशेषकर नत्रजन अधिक न हो, उचित कतार-कतार व पौध-पौध दूरी का प्रयोग करे। इसके साथ ही हाथ से इल्ली एवं अंडो के समूह को नष्ट करे, प्रारंभिक अवस्था में लकड़ी का बुरादा, राख अथवा बारीक रेत को पोंगली में डालें, नर वयस्क कीट को नियंत्रण में करने के लिए 15 फेरोमोन प्रपंच प्रति एकड़ की दर से लगाये।

         कीट के प्राकृतिक शत्रुओ की संख्या बढ़ाने के लिए अंतरवर्ती दलहनी फसले साथ में लगाये तथा पुष्पीय पौधे सूरजमुखी आसपास लगाये। ट्राईकोग्रामा प्रोटीओसम अथवा टेलीनोमस रीमस को 50 हजार प्रति एकड़ की दर से प्रति सप्ताह छिड़काब करे। बेसिलस थुरिनजिअंसिस प्रति 1 किलोग्राम प्रति हैक्टयर अथवा बेवेरिया बेसियाना प्रति 1.5 लीटर प्रति हैक्टयर का छिड़काब सुबह अथवा शाम के समय करें। इसके साथ ही किसान सायंट्रानिलिप्रोल 19.8 प्रतिशत प्लस थयोमेथाक्सम 19.8 प्रतिशत से से 4 मि.ली. प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीजोपचार करे। 

         पौध की प्रथम अवस्था में फाल आर्मी वर्म की इल्ली के प्रकोप पर नियंत्रण के लिए 5 प्रतिशत निबोली सत प्रति 5 मि.ली. प्रति लीटर पानी के दर से घोल बनाकर छिड़काब करे, इल्ली की द्वितीय अर्थात पोंगली अवस्था एवं तृतीय अवस्था में एमामेक्टिन बेंजोएट प्रति 0.4 ग्राम प्रति लीटर पानी अथवा थायोमेथाक्सम 12.6 प्रतिशत प्लस लेम्डासाईहैलोथ्रिन 9.5 प्रतिशत प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काब करे, इस कीट की अंतिम अवस्था वाली स्थिति अर्थात पूर्ण विकसित इल्ली के लिए जहरीला चारा विधि उपयोगी है। 

        इसको बनाने के लिए 10 किलोग्राम धान छिलका प्लस 2 किलोग्राम गुड़ प्लस 2 से 3 लीटर पानी का मिश्रण बनाये, इस मिश्रण को 24 घंटो के लिए किण्वित होने दे तत्पश्चात इसमें 100 ग्राम थायोडाइकार्ब खेत में डालने के आधे घंटे पहले मिलाए तथा इसे पोंग्लियों में डाले।

     जिले के किसानो से कहा गया है कि वे  फसल की सतत निगरानी करे और फसल में जब भी फाल आर्मी वर्म कीट के प्रकोप के लक्षण दिखे वे अपने नजदीकी कृषि विभाग के अमले को इसकी जानकारी दे और कृषि वैज्ञानिको द्वारा उपलब्ध कराई सलाह को उपयोग में लाए।

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