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होशंगाबाद - जिले के सभी विकासखंडो में मनाया गया मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिवस


होशंगाबाद/19,फरवरी, 2020-(अजयसिंह राजपूत) जिले में कलेक्टर धनंजय सिंह के निर्देशानुसार सभी विकासखंडो में मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिवस मनाया जा रहा है। उप संचालक कृषि जितेन्द्र सिंह ने यह जानकारी देते हुए बताया कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिवस जिले के समस्त विकासखंडो के चयनित पायलेट ग्रामों में कृषि वैज्ञानिकों एवं कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा कृषि संगोष्ठिया आयोजित कर  किसानो को मृदा स्वास्थ्य कार्ड के महत्व के बारे में किसानों को जागरूक किया जा रहा है। कृषि संगोष्ठियों में कृषि वैज्ञानिको द्वारा किसानो से कहा जा रहा है कि वे मृदा स्वास्थ्य कार्ड की अनुशंसा के अनुसार ही उर्वरकों का उपयोग करे। 

               किसानो को बताया गया कि वे यूरिया उर्वरक का का अधिक उपयोग न करे, बल्कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड में दी गई सलाह अनुसार ही संतुलित उर्वरक का ही उपयोग करें। साथ ही पोटाश उर्वरक का उपयोग भी जहां आवश्यक हो वहां करें। जिन जगह सूक्ष्म पोषक तत्वों जैसे जिंक, सल्फर, बोरान, आयरन आदि की कमी पाई जाती है तो वहां इन उर्वरकों का प्रयोग करें। 

              उप संचालक कृषि ने बताया कि जैविक खाद, गोबर की खाद, कचरे की खाद, नाडेप खाद, केचुएं की खाद, नरवाई की खाद, हरी खाद आदि सभी जैविक खाद खेती के एवं मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए बहुत उपयोगी है। अत: किसान भाईयो को संगोष्ठी में सलाह दी जा रही है कि वे जैविक खाद, गोबर की खाद, कचरे की खाद, नाडेप खाद, केचुएं की खाद, नरवाई की खाद, हरी खाद आदि सभी जैविक खाद खेती के एवं मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए बहुत उपयोग है। जैविक खाद का समन्वय करके संतुलित उर्वरक का उपयोग कर कम लागत में अधिक मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं।
      
             जिले के सभी सातो विकासखंडो के 1.1 चयनित पायलेट ग्रामों में आज मृदा स्वास्थ्य दिवस का आयोजन किया गया जिनमें विकासखंड होशंगाबाद के ग्राम पतलईखुर्द, बाबई के गुलौन, केसला के कासदारैयत, सिवनीमालवा के हमीदपुर, सोहागपुर के सोंथर, पिपरिया के डांडिया व बनखेड़ी के तिंदवाड़ा ग्राम में कार्यक्रम आयोजित किया गया। 

             इस अवसर पर किसानो को मृदा स्वास्थ्य कार्ड का वितरण भी किया गया। सभी ग्रामों में किसानो द्वारा संकल्प लिया गया कि न तो हम नरवाई जलायेंगे और न ही अपने ग्राम में किसी को नरवाई जलाने देंगे। इसके स्थान पर नरवाई को खेतो में ही मिलाकर उसकी खाद बनायेंगे। सभी कार्यक्रमों में कृषि विज्ञान केन्द्र के कृषि वैज्ञानिक, कृषि विभाग के अधिकारी एवं मैदानी अमला उपस्थित रहा।

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