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बगासपुर में बनेगा म्यूज़ियम, संरक्षित होंगी माता गिरिजा के यादों से जुड़ी वस्तुएँ - स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानन्द: सरस्वती


परमहंसी गंगा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम बगासपुर मैं द्वारिका एवं शारदा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाराज के मुखारविंद से भागवत कथा का आयोजन दिया जा रहा है।
    इस अवसर पर दंडी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने कहा कि बगासपुर कोई सामान्य गाँव नही अपितु यह माता गिरिजा का पावन तपःस्थल है। और पूज्यपाद ज्योतिष एवं द्वारिकाशारदा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज ने इसे तीर्थ की संज्ञा दी है।
माता गिरिजा महामहोत्सव के आयोजक और देवमुरलीधर ट्रस्ट, बगासपुर के अध्यक्ष स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानन्द: सरस्वती जी ने कहा है कि यहाँ पर एक म्यूजियम भी बनाया जाएगा जिसमें 'माता गिरिजा देवी' के जीवन और संस्मरणों से जुड़ी वस्तुओं को संगृहीत किया जाएगा। जिसमे आने वाली पीढ़ियों के अध्येताओं को इस सन्दर्भ में सहायता और जानकारी मिल सके।
पूज्या माता गिरिजा के सुपौत्र आचार्य सनत्कुमार उपाध्याय ने अपने यहाँ जतन से संगृहीत उस चक्की और पेटी को इस संग्रहालय के लिए समर्पित कर दिया जो माता गिरिजा एवं उनके पति पं. धनपत उपाध्याय जी के द्वारा प्रयुक्त होती रही थी।
भागवत कथा के दौरान शंकराचार्य जी ने कहा कि श्रीकृष्ण की बाललीला सबको सुख देने के लिए है,
श्रीकृष्ण जगद्गुरु हैं- कृष्णं वन्दे जगद्गुरूम् । वे योगीश्वर हैं। गीता के उद्गायक हैं। पर यह सब होने से पूर्व वे जन-जन के मन-मानस के आह्लादक हैं। उनकी बाल लीलाएँ जहाँ ऐश्वर्य से सम्पन्न हैं वही माधुर्य से ओतप्रोत भी हैं। उन्होंने बाल्यकाल से ही बता दिया कि उनके जीवन का उद्देश्य सबको सुखी कर देना है।
                   उक्त उद्गार पूज्यपाद ज्योतिष एवं द्वारिकाशारदा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज ने 'माता गिरिजा महामहोत्सव' के छठवें दिन के अपने प्रवचन में भगवान् श्रीकृष्ण की मधुर लीलाओं के अपनी मधुर शैली में सुनाते हुए व्यक्त किए।
              पूज्य शंकराचार्य जी ने भगवान् श्रीकृष्ण की माखन चोरी लीला का इतना मधुर चित्रण किया कि उपस्थित विशाल जनसमूह सम्मोहित से होकर सुनता रहा।

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