केरल में बाढ़ से हालात गंभीर, केंद्र सरकार ने की प्राक्रतिक आपदा घोषित
केरल में आई भीषण बाढ़ को गृह मंत्रालय ने प्राकृतिक आपदा घोषित किया है। गृह मंत्रालय ने कहा कि केरल में आई भीषण बाढ़ गंभीर प्रकृति की आपदा घोषित की गई है। अधिकारी ने कहा कि केरल में आई बाढ़ और भूस्खलन की प्रबलता को देखते हुए यह सभी व्यवहारिक उद्देश्यों के लिए गंभीर प्रकृति की एक आपदा है। हालांकि केंद्र ने केरल उच्च न्यायालय को सूचित किया कि किसी भी आपदा को 'राष्ट्रीय आपदा घोषित' करने का कोई वैधानिक प्रावधान नहीं है।
केरल में आई बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित किये जाने की मांगों के बीच केंद्र ने यह कहा है। केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा है कि उसने केरल की बाढ़ को 'गंभीर किस्म की आपदा' माना है और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन दिशा-निर्देशों के मुताबिक 'तीसरे स्तर की आपदा' की श्रेणी में रखा है। केंद्र ने कहा कि कोई भी आपदा कितनी भी बड़ी क्यों ना हो, उसे 'राष्ट्रीय आपदा घोषित' करने का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। केरल की बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग को लेकर दायर याचिका के जवाब में केंद्र की ओर से यह हलफनामा दायर किया गया है। बता दें कि केरल में बारिश, बाढ़ और भूस्खलन में कम से कम 350 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है जबकि 7. 24 लाख विस्थापित लोगों ने 5,645 राहत शिविरों में शरण ले रखी है।
सरकार ने उद्योगपतियों, व्यावसायिक संगठनों से केरल की मदद करने को कहा
केन्द्रीय मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि सरकार ने उद्योगपतियों और कारोबारी संगठनों से कहा है कि वह भारी बारिश और बाढ़ के कारण मानव त्रासदी झेल रहे केरल को जो भी मदद संभव हो सके उपलब्ध करायें। प्रभु के पास वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के साथ-साथ नागर विमानन मंत्रालय का भी कार्यभार है। उन्होंने कहा कि घरेलू एयरलाइन कंपनियों से कहा गया है कि वे केरल के लिये सामान मुफ्त पहुंचायें।
प्रभु ने कहा कि केन्द्र सरकार इस मामले में कोई राजनीति नहीं करना चाहती है बल्कि वह संकट की इस घड़ी में राज्य सरकार को मदद पहुंचाने के काम में तेजी लाना चाहती है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 18 अगस्त को राज्य की स्थिति का हवाई सर्वेक्षण करने के बाद प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से तुरंत 500 करोड़ रुपये की वित्तीय मदद देने की घोषणा की है। इसके अलावा उन्होंने राज्य में आई भीषण बाढ़ में जान गंवाने वालों के परिजनों को दो लाख रुपये और गंभीर रूप से घायलों को 50 हजार रुपये की सहायता देने की भी घोषणा की है।
केरल में आई बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित किये जाने की मांगों के बीच केंद्र ने यह कहा है। केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा है कि उसने केरल की बाढ़ को 'गंभीर किस्म की आपदा' माना है और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन दिशा-निर्देशों के मुताबिक 'तीसरे स्तर की आपदा' की श्रेणी में रखा है। केंद्र ने कहा कि कोई भी आपदा कितनी भी बड़ी क्यों ना हो, उसे 'राष्ट्रीय आपदा घोषित' करने का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। केरल की बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग को लेकर दायर याचिका के जवाब में केंद्र की ओर से यह हलफनामा दायर किया गया है। बता दें कि केरल में बारिश, बाढ़ और भूस्खलन में कम से कम 350 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है जबकि 7. 24 लाख विस्थापित लोगों ने 5,645 राहत शिविरों में शरण ले रखी है।
सरकार ने उद्योगपतियों, व्यावसायिक संगठनों से केरल की मदद करने को कहा
केन्द्रीय मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि सरकार ने उद्योगपतियों और कारोबारी संगठनों से कहा है कि वह भारी बारिश और बाढ़ के कारण मानव त्रासदी झेल रहे केरल को जो भी मदद संभव हो सके उपलब्ध करायें। प्रभु के पास वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के साथ-साथ नागर विमानन मंत्रालय का भी कार्यभार है। उन्होंने कहा कि घरेलू एयरलाइन कंपनियों से कहा गया है कि वे केरल के लिये सामान मुफ्त पहुंचायें।
प्रभु ने कहा कि केन्द्र सरकार इस मामले में कोई राजनीति नहीं करना चाहती है बल्कि वह संकट की इस घड़ी में राज्य सरकार को मदद पहुंचाने के काम में तेजी लाना चाहती है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 18 अगस्त को राज्य की स्थिति का हवाई सर्वेक्षण करने के बाद प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से तुरंत 500 करोड़ रुपये की वित्तीय मदद देने की घोषणा की है। इसके अलावा उन्होंने राज्य में आई भीषण बाढ़ में जान गंवाने वालों के परिजनों को दो लाख रुपये और गंभीर रूप से घायलों को 50 हजार रुपये की सहायता देने की भी घोषणा की है।
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