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गुमनाम चिट्टी ने खोले बड़े राज पुलिस कर रही जाँच

इंदौर - आध्यात्मिक गुरु भय्यू जी महाराज की खुदकुशी मामले में नया मोड़ आ गया है।एक अज्ञात व्यक्ति द्वारा डीआईजी हरिनारायणाचारी मिश्र को एक पंद्रह पन्नों का लेटर भेजा गया है। जिसमें महाराज और उनके परिवार से जुड़ी कई बातें लिखी हुई हैं।पत्र लिखने वाले ने अपना नाम ना उजागर करने के पीछे जान को खतरा बताया है।
डीआईजी ने इस पत्र को जांच के लिए भेजा है। फिलहाल मामले की जांच की जा रही है।
              अज्ञात युवक ने पत्र में उनकी खुदकुशी का कारण दूसरी पत्नी डॉक्टर आयुषी को बताया है। युवक ने लिखा है कि महाराज की दूसरी पत्नी डॉ. आयूषी की उनकी संपत्ति पर नजर थी। इतना ही नही ये भी बताया गया है कि उनके चाचा आश्रम में सेवा के नाम पर 50 हजार रुपए महीना वेतन लेते थे। पत्र में पारिवारिक विवाद के पीछे संपत्ति के झगड़े को सामने लाने की कोशिश की गई है। इसके साथ ही कुहू को महाराज और परिवार से दूर करने की भी बातों का जिक्र किया गया है।  पत्र में भय्यू महाराज को टार्चर किए जाने का आरोप भी लगाया गया है, जिसकी जिम्मेदारी उनकी दूसरी पत्नी को ठहराया गया है।इस तरह की तमाम बातों का भी जिक्र किया गया है, जो सिर्फ एक घर का सदस्य या महाराज का सेवादार बता सकता है। वही पुलिस को इस बात का संदेह है कि पत्र भेजने वाला हो ना हो कोई परिवार का ही सदस्य है, जो महाराज को भलीभांति जानता था और हर वक्त उनके आसपास रहता होगा।
            इस पूरे मामले पर डीआईजी हरिनारायणाचारी मिश्र का कहना है कि पत्र में लिखी बातों की जांच के आदेश दिए गए है। वहीं, भय्यू महाराज के सुसाइड नोट की लिखावट की हैंडराइटिंग एक्सपर्ट से जांच करवाई जा रही है। उसकी रिपोर्ट आना बाकी है।महाराज की विसरा रिपोर्ट भी नहीं मिली है, लेकिन यह जानकारी मिली है कि उनके शरीर में कोई नशीली चीज नहीं थी।फिलहाल इस पत्र को लेकर जांच की जा रही है, जल्द ही खुलासा किया जाएगा कि यह पत्र किसने और किस उद्देश्य से लिखा है।
क्या लिखा है पत्र में
           पत्र मे लिखा है कि 'आयुषी महाराज की पहली पत्नी माधवी के बारे में चर्चा करने पर भड़क जाती थीं। घर में लगी उसकी तस्वीरों को हटवा दिया था। उन्होंने महाराज की बेटी कुहू से बात करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। महाराज को कई बार करीबियों से छुपकर बातें करना पड़ती थीं। डॉ.आयुषी ने अपनी मां रानी और पिता अतुल शर्मा को इंदौर बुलाया और सिल्वर स्प्रिंग फेज-2 में मकान दिलवा दिया। भाई अभिनव और चाचा उमेश शर्मा को आश्रम में काम पर लगवा दिया। उमेश तो आश्रम से 50 हजार रुपये महीना वेतन भी लेने लगा था। पत्र में यह भी लिखा है कि डॉ. आयुषी महाराज की प्रॉपर्टी (आश्रम और बंगले) हथियाना चाहती थीं। इन सब वजहों से महाराज तनाव में रहने लगे। घर के माहौल के कारण उनकी बहनों और बहनोइयों ने आना बंद कर दिया। तनाव इतना बढ़ा कि महाराज को आत्महत्या करनी पड़ी।

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