संस्कारधानी में ऐतिहासिक क्षण पूज्य शंकराचार्य जी महाराज का चातुर्मास व्रत पूर्ण
न्यूज़ एक्सप्रेस18- नरसिंहपुर:- परमहंसी गंगा आश्रम आज भक्ति, भजन और आध्यात्मिकता से सराबोर रहा। द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती जी महाराज के सान्निध्य में भक्तगणों ने भगवान सत्यनारायण की कथा का श्रवण किया। कथा के पश्चात विधि-विधान से पूजन-अर्चन सम्पन्न हुआ, जिसमें भक्तों ने परिवार सहित भाग लेकर अपने जीवन को धन्य माना।
*समाधि दर्शन का पावन क्षण*
कथा पूर्ण होने के पश्चात पूज्य शंकराचार्य जी महाराज ने मां भगवती एवं ब्रह्मलीन गुरुदेव की समाधि स्थल पर दर्शन-पूजन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। आश्रम परिसर मंत्रोच्चार, भजन और श्रद्धा की उमंग से गूंज उठा।
*पूज्य शंकराचार्य जी सीमा उल्लंघन के लिए हुए रवाना*
संस्कारधानी जबलपुर की पावन धरा और मां नर्मदा के तट पर आज अलौकिक दृश्य देखने को मिला। द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती जी महाराज का चार महीने का चातुर्मास व्रत विधिपूर्वक पूर्ण हुआ। प्रातः 8:00 बजे परंपरानुसार सीमा उल्लंघन का कार्यक्रम सम्पन्न किया गया, जिसमें वेद-मंत्रों की गूंज और भक्तों का उल्लास वातावरण को अद्वितीय बना रहा।
*चातुर्मास की साधना और जनजागरण*
परमहंसी गंगा आश्रम में चार माह तक चातुर्मास व्रत करते हुए पूज्यपाद शंकराचार्य जी महाराज ने श्रोताओं को श्रीरामकथा, शिवमहापुराण, वेद-उपनिषद एवं संत वाङ्मय के अमृतरस से तृप्त किया। उनके प्रवचनों ने हजारों श्रद्धालुओं के जीवन में धर्म, संस्कार और आत्मचिंतन की ज्योति जगाई।
*सीमा उल्लंघन का महत्व*
सनातन परंपरा के अनुसार चातुर्मास के दौरान दंडी सन्यासी एक ही स्थान पर रहकर साधना करते हैं। व्रत की पूर्णता पर नदी अथवा सरोवर के तट पर जाकर सीमा उल्लंघन किया जाता है, जिससे पुनः भ्रमण और जनसेवा का क्रम आरंभ होता है। मां नर्मदा की धारा के समीप यह परंपरा आज सजीव हुई।
*शंकराचार्य जी का आशीर्वचन*
*व्रत पूर्णता पर पूज्य शंकराचार्य जी ने कहा*
"चातुर्मास साधना का काल है। इन चार महीनों में आत्मसंयम, जप-तप और शास्त्रचिंतन से मनुष्य अपने जीवन को शुद्ध करता है। मां नर्मदा की कृपा से जो साधना सम्पन्न हुई है, उसका फल जनकल्याण और धर्मरक्षा में लगेगा।"
*भक्तों का भावविभोर संगम*
सीमा उल्लंघन के इस अवसर पर दूर-दूर से आए श्रद्धालुओं ने मां नर्मदा में आचमन कर गुरु चरणों में नमन किया। अनेक श्रद्धालुओं ने इसे अपने जीवन का सौभाग्य बताया। वातावरण में भजन, घंटा-घड़ियाल और वैदिक मंत्रों की गूंज ने कार्यक्रम को दैवीय आभा प्रदान की।
*संस्कारधानी का गौरव*
जबलपुर की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान आज और प्रखर हुई जब जगतगुरु शंकराचार्य जी महाराज का चातुर्मास व्रत पूर्णता को पहुँचा। यह आयोजन केवल धार्मिक रस्म नहीं, बल्कि सनातन धर्म की जीवंत परंपराओं का साक्षात् उत्सव बन गया।
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