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प्राइवेट स्कूल बने लूट का केंद्र, कार्यवाही करने से कतरा रहे शिक्षा विभाग के अधिकारी


नरसिंहपुर/तेंदूखेड़ा:-03 सितंबर 2022 (आदित्य नायक)- प्राइवेट स्कूल बने लूट का केंद्र, क्या प्राइवेट स्कूलों पर है जिला शिक्षा अधिकारी का हाथ, किन कारणों से नहीं होती इन पर कार्यवाही।
बताया जाता है कि जो भी अधिकारी प्राइवेट स्कूलों में जांच के लिए आया, जेब गर्म करके गया, अभी तक नहीं हुई किसी भी प्राइवेट स्कूल पर कार्यवाही आखिर क्यों।
मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले की तेंदूखेड़ा तहसील के अंतर्गत आने वाले अशासकीय विद्यालय इन दिनों लूट का केंद्र बने हुए हैं, पालकों का कहना है, जब हम प्राइवेट विद्यालय में बच्चों को पढ़ा रहे हैं, और मोटी फीस चुका रहे हैं तो ट्यूशन लगाने की क्या जरूरत है।
ऐसा नहीं है की प्राइवेट स्कूल वालों को पूरी फीस नहीं चाहिए, उन्हें तो फीस के साथ साथ ट्यूशन की पूरी फीस भी चाहिए, ऊपर से प्राइवेट स्कूलों में पर्याप्त व्यवस्थाएं भी नहीं है।

तेंदूखेड़ा तहसील स्तर पर सीएम राईज स्कूल आना था, लेकिन राजनीतिक फायदे और शिक्षा विभाग की प्राइवेट स्कूल संचालकों की मिलीभगत के चलते अन्यत्र ट्रांसफर कर दिया गया।
जैसे ही सीएम राइज स्कूल के तेंदूखेड़ा में आने की खबर लगी, तेंदूखेड़ा, राजमार्ग के विभिन्न प्राइवेट स्कूलों के हाथ पांव फूल गए।
सीएम राइज स्कूल के आने से अच्छी व्यवस्था मिलती, परंतु अशासकीय विद्यालयों के प्रबंधकों के आगे शिक्षा विभाग बोना पड़ गया, और स्कूल को डोभी ट्रांसफर कर दिया गया।
यह सब प्रशासन एवं प्राइवेट स्कूलों की मिलीभगत से संभव हो पाया, यहां पर वह स्कूल होता तो इनकी दुकानें निश्चित ही बंद हो जाती।
गुप्त सूत्रों से प्राप्त जानकारी से यह पता चला है, कि नरसिंहपुर शिक्षा विभाग के अधिकारी अच्छी खासी मोटी रकम इन प्राइवेट विद्यालयों से लेते है, जिस कारण इनकी मनमानी के ऊपर कोई कार्यवाही नहीं करते, या कार्यवाही करने से डरते हैं।
जब हमारी टीम ने प्राइवेट स्कूलों के बारे में जानकारी जुटाई तो पता चला, कि तेंदूखेड़ा के सभी प्राइवेट विद्यालयों के यही हाल है,
इन प्राइवेट स्कूलों की कार्यप्रणाली से वह कहाबत चरितार्थ होती नजर आती है की, बाप बड़ा ना भैया सबसे बड़ा रुपैया, क्योंकि इनके आगे पैसे से बढ़कर कुछ नहीं।
तेंदूखेड़ा के एक बड़े प्राइवेट विद्यालय जो कि संत मोनी सर्वोदय विद्यालय के नाम से संचालित है, जब हमारी टीम ने वहां का जायजा लिया तो वहां अनेकों प्रकार की विसंगतियां, अनियमितताएं पाईं गयी।
शाला का भवन जर्जर हालत में है, स्कूल के भवन की रेलिंग टूटी पड़ी है, भवन के पिल्लरों में भी दरारें पड़ गई है, दरवाजे खिड़कियां टूटे पड़े है, जिस कारण कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।
बताया जा रहा है कि स्कूल बिल्डिंग की एनओसी भी समाप्त हो चुकी है।
स्कूल में न तो खेल मैदान है न ही स्पोर्ट्स टीचर, न ही प्रयोगशाला, फिर भी इनके नाम पर सालाना वसूली की जा रही है, जो नियम विरुद्ध है।
विद्यालय प्रबंधन द्वारा स्कूल में आयोजित होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों के नाम पर मनमाने तरीके से फीस वसूली जा रही है, जिससे पालकों पर आर्थिक बोझ बढ़ता जा रहा है।
सर्वोदय विद्यालय में छात्रों के हिसाब से बैठने की पर्याप्त व्यवस्था भी नहीं है, एक कमरे में लगभग 20 बच्चों का बेच होना चाहिए, लेकिन यहां एक कमरे में क्षमता से अधिक 40 से ज्यादा बच्चों को बैठाया जा रहा है, इतना ही नहीं एक एक डेस्क पर तीन से पांच बच्चे बैठाये जा रहे हैं।
संत मोनी सर्वोदय विद्यालय में दर्ज छात्रों के हिसाब से लैट्रिन बाथरूम की व्यवस्था भी नहीं है, जिससे बच्चों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
हमारी टीम की गुप्त पड़ताल में इस बात की जानकारी भी सामने आई है, की इस विद्यालय में बगैर डीएड, बीएड वाले अयोग्य शिक्षक पढ़ा रहे हैं।
पालकों का कहना है कि विद्यालय द्वारा कोरोना काल में फीस में कोई छूट नहीं दी गई, कोरोना काल की आपात स्थिति में पालकों पर फीस का अतिरिक्त भर पड़ने से उनकी आर्थिक स्थिति गड़बड़ा गई है, और तो और विद्यालय के पास न तो खेल मैदान है, न प्रयोगशाला लेकिन इनके नाम पर लगातार बसूली की जा रही है।
विद्यालय परिसर में पार्किंग की भी व्यवस्था नहीं है, जिससे आये दिन स्कूल के सामने ट्रैफिक जाम की स्थिति निर्मित होती है, जिससे वहां से गुजरने वाले लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
स्कूल भवन में आग से सुरक्षा के लिए जरूरी फायर सेफ्टी यंत्र भी नहीं है, जिससे आपात स्थिति में दुर्घटना से बचा जा सके।
कहते है कि विद्यालय के प्रबंधक राजनीतिक रसूखदार हैं, जिससे प्रशासन इन पर कार्यवाही करने में सक्षम नहीं है, कार्यवाही के नाम पर प्रशासन के हाथ पांव फूल जाते हैं।
तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि विद्यालय की बिल्डिंग बहुत पुरानी हो गई है, जो कि जर्जर स्थिति में है, विद्यालय में लगभग 2000 से ऊपर छात्र अध्ययन करते हैं, यदि भवन गिर जाता है, या कोई दुर्घटना होती है, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा, स्कूल प्रबंधन या प्रशासन।

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