Breaking News

धर्म पर आधारित शासन समाज को सुखी करता है- स्वामी सदानंद सरस्वती


नरसिंहपुर/परमहंसी (न्यूज़ एक्सप्रेस18) 23 जुलाई 2022-
धर्म हमें एक दूसरे का आदर करना सिखाता है, धार्मिक व्यक्ति किसी अन्य को चोट पहुंचा ही नहीं सकता इसलिए धर्म पर आधारित शासन पद्धति समाज में सुख शांति ला देती है,

धर्म पर आधारित शासन समाज को सुखी करता है- स्वामी सदानंद सरस्वती

उक्त उद्गार पूज्य पाद स्वामी सदानंद सरस्वती जी महाराज ने अपने गीता प्रवचन में व्यक्त किये, ज्ञातव्य हो कि स्वामी सदानंद सरस्वती एवं स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद परमहंसी गंगा आश्रम में अपना चातुर्मास व्रत कर रहे है, इस अवसर पर आयोजित महोत्सव में उनके द्वारा प्रतिदिन सायं ४ बजे भगवत गीता पर व्याख्यान दिया जा रहा है, पूज्य पाद स्वामी जी ने बताया कि केवल शासन ही नहीं शिक्षा भी धर्म पर आधारित होनी चाहिए, यह देश भारत बना ही इसलिए क्योंकि यह भा माने ब्रह्मविद्या में रत रहने वाला देश है, शास्त्रों में विश्वास और तदनुसार जीवन जीने वाला ही हिंदू है, केवल देशों में उत्पन्न होने मात्र से कोई हिंदू नहीं हो सकता, पूज्य स्वामी जी ने आगे कहा कि भारतवर्ष हिंदुओं का मूल निवास है यहां धर्म आधारित राज्य ही सदा से स्थापित रहा है इसीलिए यहां की जनता भी तदनुसार ही वर्ताव करती है| 

दुख भगवान की बनाई स्रष्टि में नहीं अपितु  हमारी सृष्टि में है- अविमुक्तेश्वरानंद जी

जब भगवान आनंद स्वरूप हैं उनके लोग में दुख अज्ञान और भय आदि का प्रवेश भी नहीं है तो फिर उनके रचे इस संसार में सर्वत्र दुख ही दुख क्यों दिखाई देता है विचार करने पर पता चलता है कि दुख तो भगवान की बनाई सृष्टि में नहीं अपितु हमारी बनाई सृष्टि में है, उक्त उद्गार परमहंसी गंगा आश्रम में चल रहे चातुर्मास के प्रवचन के क्रम में गुरु गीता पर बोलते हुए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने व्यक्त किए |

उन्होंने आगे कहा कि आप ध्यान करेंगे तो पाएंगे कि संसार मैं हमें सुख दुख दोनों दिखाई देते हैं, किसी एक वस्तु में दोनों कैसे देख सकते हैं एक ही गिलास का रस कभी मीठा और कभी नमकीन कैसे लग सकता है या तो वह मीठा ही होगा या फिर नमकीन, इसी तरह संसार में भी या तो सुख ही होना चाहिए या दुख ही पर दिखते दोनों हैं इसका सीधा सा मतलब है कि हम दो तरह की सृष्टि में जी रहे हैं एक सृष्टि ईश्वर की बनाई है और दूसरी हमारी स्वयं की, ईश्वर की सृष्टि में आनंद ही आनंद है और हमारी बनाई सृष्टि में दुख ही दुख है, भगवान ने सब को अलग बनाया और हम संबंध जोड़ते हैं, यह जोड़े गए संबंध ही हमें दुख देते हैं, इसलिए जो व्यक्ति सर्वथा असंग रहकर जीवन बिताता है तो उसे तो कभी व्याप्ता ही नहीं हैं ईश्वर की सृष्टि में जियो अपनी धारणाओं को छोड़ो आप सुखी होंगे |

जब न्याय नहीं होता तब महाभारत होता है चीफ ज्यूडिशिय लॉ मजिस्ट्रेट (सीनियर डिवीजन) गांधीधाम कच्छ गुजरात आशुतोष पाठक ने बताया कि भारत सरकार ने जनता को न्याय सुलभ कराने के लिए अनेक योजनाएं चलाई हैं, यह चलाते रहना चाहिए क्योंकि जब न्याय नहीं मिलता तो महाभारत युद्ध होता है |

परमपद तक पहुंचाती है गीता

ब्रह्मचारी ब्रह्म विद्यानंद ने कहा कि गीता ग्रंथ भारत का वह गहनीय ग्रंथ है जो संसार के सबसे बड़े पद पर परम पद तक पहुंचा देती है, बाकी सब ग्रंथ आपको कलेक्टर कमिश्नर जैसे पदों पर पहुंचा सकते हैं, पर गीता जैसे ग्रंथ सर्वश्रेष्ठ परम पद की प्राप्ति करा सकते हैं वास्तव में अन्य ग्रंथों से जीवन की सफलता निहित है |

राधेश्याम सैनी और साथियों ने सुंदर भजन की प्रस्तुति की पादुका पूजन न्यायाधीश आशुतोष पाठक ने किया कार्यक्रम का संचालन विद्या निकेतन के प्रधानाचार्य आचार्य कृष्ण कुमार दुवेदी ने तथा संचालन मुकेश पाठक ने किया |

कोई टिप्पणी नहीं