अमंगल को मंगल बनाता है ज्ञान :- स्वामी सदानंद सरस्वती जी
अमंगल को मंगल बनाता है ज्ञान :- स्वामी सदानंद सरस्वती जी
नरसिंहपुर /परमहंसी (न्यूज़ एक्सप्रेस 18):- 21 जुलाई २०२२- अमंगल और मंगल दो शब्द है इन दोनों को लिखकर अगर अज्ञान के 'अ' हम मिटा दें तो मंगल ही मंगल रह जाएगा अमंगल के 'अ' को सद्गुरु के दिए ज्ञान से सहज ही में मिटाया जा सकता है उक्त उद्गार दंडी स्वामी सदानंद सरस्वती जी ने चातुर्मास प्रवचन के क्रम में परमहंसी गंगा आश्रम के सभा मंच से गीता प्रवचन करते हुए व्यक्त किए पूज्य स्वामी जी ने आगे कहा कि हमारे ऊपर विपत्ति तभी आती है जब हम मोह अथवा अज्ञान के वशीभूत हो जाते हैं "कह हनुमंत विपति प्रभु सोई जब तब सुमिरन भजन न होई" अत: अपने अमंगल का 'अ' मिटाने के लिए गीता के ज्ञान कि हर व्यक्ति को परम आवश्यकता है, पूज्य स्वामी जी ने आगे कहा कि अर्जुन जब तक भगवान श्री कृष्ण को मित्र और सारथी समझ रहा था तब तक उसे ज्ञान नहीं हुआ जब वह श्रीकृष्ण को गुरु मानकर स्वयं को शिष्य कहता हुआ शरणागत हुआ तब ही उसको ज्ञान प्राप्त हुआ और उसका सर्वविध मंगल हुआ इसी तरह हम सबको परमात्मा और गुरु की शरण में जाना पड़ेगा |
परमात्मा के सन्निध्य का कभी अभाव नही होता :- स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद: जी
परमात्मा सभी देश सभी काल तथा सभी वस्तुओं में सदा विद्यमान रहते है उनके सन्निनिध्य का कभी अभाव नही होता ये विचार परमहंसी गंगा में चल रहे चतुर्मास्य महोत्सव के अंतर्गत गुरुगीता पर प्रवचन करते हुए स्वामी श्री 1008 अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी ने उपस्थित श्रोताओं के समक्ष किए उन्होंने आगे कहा कि कुछ लोग यह समझते है हमारे सामने तो भगवान का कोई अवतार है ही नही राम - कृष्ण आदि भगवान के अवतार तो हो चुके और कतिक अवतार अभी आगे होगा तो फिर हमारे समय में हम भगवान का सन्निनिध्य लाभ केसे प्राप्त कर सकते है उन्हे यह समझना होगा की प्रभु सर्वकालिक रूप से सर्वत्र विद्यमान रहते है किसी भी समय उनका अभाव नही है इसीलिए किसी भी समय व्यक्ति को निराश होने की आवश्यकता नहीं उसे सर्वदा सर्वत्र परमात्मा का सन्निध्य उपलब्ध है रामचरित मानस में प्रसंग आती है कि देवता जब गौ रूप धारिणी पृथ्वी के साथ शिव जी के पास गए कि चलिए भगवान नारायण के पास जाया जाए तब शिवजी ने यही तो कहा था कि 'प्रभु व्यापक सर्वत्र समाना प्रेम ते प्रकट होहि में जाना' और फिर कही गए बिना ही प्रभु ने इन सबकी समस्या का समाधान सुझा दिया था
सरल है सगुण साकार परमात्मा की उपासना मानस मंजरी सुश्री लक्ष्मीमणि शास्त्री जी ने कहा कि यद्धपि परमात्मा निर्गुण निराकार भी है और सगुण साकार भी परंतु यह भक्त की बुद्धि पर निर्भर करता है कि वह परमात्मा की उपासना किए रूप में करता है प्राय: लोग स्थूल और भौतिक समझ वाले होते है अतः उन्हें परमात्मा के सगुण साकार रूप,उनके नाम,रूप लीला और धाम ही आकर्षित करते है यह उपासना भी फलवती होती है परमहंसी गंगा आश्रम में साक्षात माता त्रिपुर सुंदरी विराजमान है जिनके दर्शन करने मात्र से व्यक्ति का कल्याण जाता है हो जाता है,
कार्यक्रम का शुभारंभ पूज्यपाद शंकराचार्य जी की पादुआओ के पूजन से राजेंद्र प्रसाद शास्त्री ने किया माल्यार्पण पंकज सिंह बाघेला, हनीभाई भरवाड़, रघुवीर सिंह, विजय सिंह, तेजेंद्र सिंह ने किया स्वामी सदाशिव बृजेंद्र आनंद ब्रजेंद्रानंद, ब्रह्मविद्यानंद, ब्रम्हचारी निर्विकल्प स्वरूप, अंकित अवस्थी आदि ने विचार किए कार्यक्रम का संचालन अरविंद मिश्रा तथा धन्यवाद ज्ञापन धन्नी पटेल ने किया
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