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गाडरवारा शुगर मिल मामले में एनजीटी ने लगाई पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड व मध्यप्रदेश सरकार को फटकार


कोर्ट ने पूछा जब इतनी अनियमितताएं थी तो मिलो को बंद क्यो नही किया गया
नरसिंहपुर/गाडरवारा:- न्यूज़ एक्सप्रेस18- गाडरवारा स्थित नर्मदा शुगर मिल व शक्ति शुगर मिल द्वारा किये जा रहे विभिन्न प्रदूषणों को रोकने व दोनो मिलो पर विधिसम्मत कार्यवाही करने को लेकर फरवरी माह में नागरिक उपभोक्ता मंच के प्रांतीय संयोजक मनीष शर्मा व नरसिंहपुर जिला संयोजक पवन कौरव द्वारा एनजीटी दिल्ली में एक जनहित याचिका दायर कर प्रदूषण को रोकने व पर्यावरण प्रदूषण करने पर दोनो शुगर मिलो पर कार्यवाही करने की माग की गई थी । कोरोनो काल के कारण मिल संचालन के समय पूरे मामले में सुनवाई नही हो सकी थी 24 मई को इस पूरे मामले की सुनवाई दिल्ली एनजीटी की प्रिंसिपल बेंच में हुई, जिसमें बेंच ने 6 सप्ताह में पूरे मामले में कलेक्टर नरसिंहपुर को एक कमेटी बनाकर जांच कर जांच रिपोर्ट 6 सप्ताह में माननीय एनजीटी की दिल्ली प्रिंसिपल बेंच के समक्ष सौंपने का आदेश दिया था, जिसपर जांच कमेटी द्वारा 07 जुलाई को दोनो ही शुगर मिलो में जाकर पूरे मामले की जांच कर 31 जुलाई को 21 पेजो की जांच रिपोर्ट बनाकर एनजीटी के समक्ष सौंपी गई थी।
     जिसपर 8 सितंबर को एनजीटी भोपाल बेंच में सुनवाई हुई, जिसमे माननीय एनजीटी की भोपाल बेंच ने पॉल्युशन कन्ट्रोल बोर्ड एवं मध्यप्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि हम जांच रिपोर्ट से संतुष्ट नही है, अगर इतने दिनों से लगातार प्रदूषण हो रहा था तो विभाग क्या कर रहा था, मिलो को बंद क्यों नही किया गया।
वहीं भोपाल बेंच के जस्टिस शिव कुमार सिंह व एक्सपर्ट मेंम्बर अरुण कुमार वर्मा की पीठ ने प्रदूषण विभाग के रीजनल ऑफिसर को अगली सुनवाई में स्वयं उपस्थित होने के लिए कहा है।
    याचिकाकर्ता की तरफ से इस पूरे मामले में एडवोकेट प्रभात यादव ने पैरवी की, वहीं इस पूरे मामले में अब अगली सुनवाई अक्टूबर माह में हो सकती है।

जांच रिपोर्ट के अनुसार जांच में पाई गई अनियमिततायें
     याचिकाकर्ता मनीष शर्मा व पवन कौरव द्वारा जो आरोप याचिका में लगाए गए थे वह सही पाए गए एवं आरोप के अलावा भी अनेको खामियां ( अनियमितता ) शुगर मिलो में पाई गई।
     जानकारी के मुताबिक मिल खोलने सम्बन्धी अनुमति लेते वक्त ये जानकारी देनी पड़ती है कि शुगर मिल की जमीन के कुल क्षेत्रफल में से 25 प्रतिशत जगह में वृक्षारोपण(ग्रीन बेल्ट) करना अनिवार्य होता है, जांच के दौरान मिल में नियमानुसार जगह में वृक्षारोपण नही पाया गया, वहीं वायु प्रदूषण अधिनियम की धारा 21, 37, 39 जल प्रदूषण की धारा 25, 44, 45A का शुगर मिल संचालको द्वारा उल्लंघन किया जा रहा था।
    रिपोर्ट में पूर्व में भी शुगर मिलो के विरुद्ध हुई शिकायतों के बारे में लिखा गया है। शुगर मिलो के पास पर्याप्त जमीन नही है, जिससे वह पानी को शुद्ध कर सके जिसकी वजह से प्रदूषित पानी नदी व नाले में फैला हुआ पाया गया।
      वायु प्रदूषण को कंट्रोल करने के पर्याप्त साधन शुगर मिल संचालको के पास उपलब्ध नही पाए गए, शुगर मिल से निकलने वाली डस्ट ( मरी ) को स्टॉक मेंटनेंस करने के भी पर्याप्त साधन मिलो के पास जांच में उपलब्ध नही पाए गए जिससे धूल प्रदूषण ना हो।
     जीरो डिस्चार्ज जो शर्ते जिनके तहत शुगर मिलो का संचालन होना चाहिए उनका भी पालन शुगर मिलों द्वारा नही किया जा रहा है जांच कमेटी द्वारा जांच रिपोर्ट में इसके अलावा भी अन्य अनियमितताऐं पाई गई है जिनको सुधारने के लिए सुझाव भी कमेटी द्वारा दिये गए है।

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