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रायसेन/ओबेदुल्लागंज - नगर में गायों का नगर की सड़कों जमावड़ा, प्रशासन और जिम्मेदारों से सवाल


रायसेन/ओबेदुल्लागंज- (सत्येंद्र पांडे) - नगर में गायों का नगर की सड़कों जमावड़ा, प्रशासन और जिम्मेदारों से सवाल।
रायसेन के नगर औबेदुल्लागंज में कहने को तो गौसेवकों के कई कथित समूह हैं और गायों के प्रति चिंता करने के लिये बहुत से लोग अपने विचार व्यक्त करते हैं लेकिन वास्तविकता इसके उलट दिखाई देती है।

नगर के मुख्य बाजार जो राष्ट्रीय राजमार्ग पर होने के साथ ही कृषि कार्य बाहुल्य का बाजार कहलाता है। बारिश के मौसम में बाजार के मध्य में सैकड़ों गायों का विचरण यह बताता है कि जिस पशुधन का लोग भरपूर दोहन करते हैं उन्हे लाभ सिद्ध होने के बाद बेपरवाह सड़कों पर भटकने के लिये छोड़ देते हैं। यह निरीह गौमातायें सड़कों पर भटकने हुऐ कई प्रकार की दुर्घटनाओं का शिकार होती हैं कई दुर्घटनाओं में जनहानि का कारण भी बनती हैं।

यह सारी गायें लावारिश नहीं हैं सवाल यह है कि जो लोग इनका दोहन करते हैं और मालिक कहलाता हैं वे इनके पालन पोषण में कन्नी क्यों काट लेते हैं। प्रशासन चाहे तो इन गायों को समीपवर्ती गौ शाला में पहुंचा सकता है और मालिकाना हक जताने वालों पर दंडात्मक कार्यवाही कर सकता है। लेकिन प्रशासन की क्या विवशता है यह समझ से परे है। अब तब जबकि प्रशासन को कोरोना संक्रमण के कार्यों से काफी हद तक निजात मिल चुकी है उन्हे यह परोपकार और जिम्मेदारी का निर्वहन करना चाहिये।

हालांकि उल्लेखनीय है कि इन गौमाताओं की चिंता करते हुए नगर के समाज सेवी अंकित माहेश्वरी और सथियों ने इन सभी के सींग और गले में रेडियम की पट्टी लगा कर संरक्षण हेतु प्रयास किये गये हैं लेकिन प्रशासन के उदासीन रवैये से वह नाकाफी साबित हो रहे हैं।

मनुष्य अपनी स्वार्थ्यपूर्ति हेतु पशुओं को भी प्रभावित करना नहीं छोड़ते। फिर चाहे वह समाज हो या प्रशासन हर किसी के लिये यह कोई चिंता का विषय नहीं है। यह निरीह मूक गाथायें यदि संवाद कर पातीं तो मनुष्य को अपने कृत्यों पर अवश्य शर्मिंदा होना पड़ता।

औबेदुल्लागंज से सत्येन्द्र पाण्डेय जिला ब्यूरो रायसेन ।

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