Breaking News

देवशयन के समय में बिना मुहूर्त के ही मन्दिर का निर्माण शास्त्र सम्मत नहीं- जगतगुरू शंकराचार्य

परमहंसी गंगा आश्रम/ 27 जुलाई 2020- कोरोना महामारी के समय उत्सव मनवाना कहाँ तक उचित
पहले जनता को कोरोना के भय से निकालें, फिर दीप जलवाएं
जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट एक तो देवशयन के समय में बिना मुहूर्त के ही मन्दिर का निर्माण आरम्भ करा रहा और दूसरी ओर कोरोना महामारी से पीड़ित देश से हर्ष प्रदर्शित करने हेतु दीपोत्सव मनाने का सरकार भी आदेश जारी कर रही।
     वर्तमान समय में कोरोना का संक्रमण पूरे देश में हावी है। लोग विपत्ति में हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री व उनके समर्थक एक ओर देवशयन की स्थिति में राम मंदिर के निर्माण कार्य का आरम्भ करने जा रहे हैं और जनता से अपील कर रहे हैं कि पूरे देशवासी उस दिन दीप जलाएं और हर्ष मनाएं। इस समय हमारे प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री शिवराज सिंह स्वयं कोरोना से ग्रस्त हैं। जब प्रतिदिन पीड़ितों के आंकड़ों में वृद्धि हो रही है तो बजाय स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने के लोगों से उत्सव मनाने की अपील करना उचित नहीं है।
     उक्त बातें ज्योतिष्पीठाधीश्वर एवं द्वारका शारदापीठाधीश्वर जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ने मध्य प्रदेश के परमहंगी गंगा आश्रम में अपने चातुर्मास्य स्थल श्रीत्रिपुरालयम् से कही।
     उन्होंने कहा कि भगवान् श्रीराम का मंदिर बनाए जाने से हमें कोई आपत्ति नहीं है, परन्तु भगवान् की जन्मस्थली में गर्भगृह के आग्नेय कोण में भगवान् के  बालरूप की स्थापना की जानी चाहिए। शास्त्रोक्त विधि-विधान से इसका निर्माण होना चाहिए।
     उन्होंने कहा कि ऐसी क्या मुसीबत आ गई कि जब पूरा देश कोरोना संक्रमण से जूझ रहा है, लोग मरते जा रहे हैं और धार्मिक दृष्टि से भी देवशयन होने से कोई शुभ मुहूर्त नहीं है तो ऐसे में सरकार असली समस्या से लोगों का ध्यान भटकाते हुए अशास्त्रीय रीति से शिलान्यास करने जा रही हैं। यह कार्य तो देवोत्थान एकादशी के उपरान्त उचित मुहूर्त देखकर भी हो सकता है।

न्यायालय में जन्मभूमि सिद्ध नही कर पा रहे थे
     पूज्य शंकराचार्य जी ने सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई के समय की घटना का स्मरण कराते हुए कहा कि न्यायालय में सुनवाई के दौरान जब सभी न्यायाधीशों द्वारा एक स्वर में यह पूछा गया कि श्रीराम का जन्मस्थल कहां है तब भारतीय जनता पार्टी या उसके अनुषंगिक संगठन और समर्थक अधिवक्ता आदि जन्मभूमि का सटीक स्थल नहीं बता पाए थे। ऐसे समय में शंकराचार्य जी महाराज ने श्रीराम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति की ओर से पक्षकार होने के नाते अपने अधिवक्ता श्री परमेश्वर नाथ मिश्र एवं सुश्री रंजना अग्निहोत्री के माध्यम से न्यायालय को 300 से अधिक प्रमाणों के साथ यह जानकारी दी थी कि श्रीराम की जन्मभूमि इसी स्थल पर है। जिन्हें जन्म स्थल तक का पता नहीं वे आज बड़ी-बड़ी बातें कर रहे हैं।

राजधर्म निभाएं और सबसे पहले कोरोना से मुक्ति दिलवाएं
     कोरोना से पीडित जनता के स्वास्थ्य की चिन्ता करते हुए पूज्य शंकराचार्य जी महाराज ने कहा कि इस समय सरकार का एक ही कर्तव्य है कि वह देश को कोरोना महामारी के संकट से मुक्ति दिलवाएं। हर शहर, हर गांव में इलाज की सुविधाएं उपलब्ध करवाएं। कोरोना संक्रमण से निजात पाने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास करें। इस अति आवश्यक कार्य को न कर वे मन्दिर की बातों से लोगों का ध्यान न भटकाएं।
     साथ ही कहा कि जिस घर में कोरोना से कोई भी व्यक्ति संक्रमित होगा या मरा होगा वह कैसे दीप जलाकर हर्ष मनाएगा ? अतः सबसे पहले कोरोना भगाएं, फिर शुभ मुहूर्त में मन्दिर बनवाएँ तो उसके बाद पूरा देश दीप भी जलाएगा और हर्ष भी मनाएगा।

कोई टिप्पणी नहीं