जबलपुर- कोरोनों महामारी से बचने करें शक्ति का संचय- ब्रह्मचारी चैतन्यानंद महाराज
जबलपुर / 01 अप्रैल 2020- इस समय वासंतेय नवरात्रि का अत्यंत पुनीत पर्व चल रहा है। यह बर्ष का आरंम्भ भी माना जाता है, नवरात्रि में ही विक्रम संवत्सर आरंभ होता है। भारतीय धर्म शास्त्रों के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि आरंभ की थी। इस दृष्टि से भी नवरात्रि विशेष पर्व माना जाता है। इसकी गणना व्रत उत्सव में होती है। व्रत में शक्ति का संचय किया जाता है और उत्सव में शक्तिका संचय कर लेते है। तो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढा लेते है तो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढा लेते है तो कोरोना जैसी हजार व्याधि भी हमारा अनिष्ट नही कर सकती । बगलामुखी सिद्धपीठ के ब्रह्मचारी चैतन्यानंद महाराज ने कहा कि प्राचीन ऋषि महषियों ने नवरात्रि में शक्ति संचय का निर्देश दिया। अत: हम लोगो को अपनी संस्कृति से जुडना चाहिए। क्योंकि शक्तिमान व्यक्ति ही इस स्वर्णमयी पृथ्वी का उपभोग कर सकता है और शक्तिहीन बलहीन व्यक्ति को तो उसकी प्राप्त की हुई आत्मा भी प्राप्त नही हो पाती है। वेदांत ने स्पष्ट लिखा है कि नायमात्मा बल हीनेन लाभ्य: अर्थात बलहीन व्यक्ति की उसकी खुद की आत्मा भी उनको प्राप्त नही होती है। अत: हमको व्याधियों (रोगों) से लड़ने हेतु शक्ति का संचय करने की जरूरत है। ब्रह्मचारी चैतन्यानंद ने कहा व्याधियों की और ध्यान ना देकर शक्तिसंचय की और ध्यान देना चाहिए। दुर्गा सप्तशती में भी समष्टि पाप (महामारी) को दूर करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को प्रत्येक घर में 'जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा सुधा नमोस्तुतें ' मंत्र का जाप करना चाहिए। जिससे महामारी और शरीर की बडी -बडी व्याधियों से रक्षा होती है और अपने शरीर से ही धर्म का संपादन होता है। (साभार आशीष दुबे nsp)
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