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कांग्रेस नहीं कर सकती कर्ज माफी- कर्ज माफी की तो रोकने होंगे सभी विकास कार्य

भोपाल- मध्य प्रदेश में सत्ता वापसी की राह देख रही कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के ऐन पहले किसान कर्ज माफी की घोषणा कर पूरा गेम ही बदल दिया। हालांकि, वर्तमान वित्त मंत्री जयंत मलैया ने कांग्रेस की कर्ज माफी पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस किसी भी हालत में कर्ज माफी नहीं कर सकती है। इसके लिए उसे प्रदेश से सभी विकास और अधोसंरचना के कामों को रोकना पड़ेगा, तब जाकर कर्ज माफी संभव हो सकती है। यह बात उन्होंने मीडिया से चर्चा के दौरान कही। उनके इस बयान के कई मायने हैं। इससे इस बात अंदाजा लगाया जा सकता है कि भाजपा विकास योजनाएं लेकर आई इसलिए किसानों की कर्ज माफी नहीं हो पाई।

उन्होंने पत्रकारों से कहा कि किसान कर्ज माफी जैसे वादे को पूरा करने के लिए कांग्रेस अगर सत्ता में आती है तो उसे विकास कार्य और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट रोकने होंगे। उन्होंने कांग्रेस के पूर्व में किए वादों को याद दिलाते हुए कटाक्ष करते हुए कहा कि कांग्रेस अपने वादे कभी पूरे नहीं करती है। उन्होंने कहा कि  राजस्व बढ़ाने के लिए तमाम आर्थिक प्रयास किए गए हैं। ये काम करने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। अन्य राज्यों के मुकाबले मध्य प्रदेश के हालात काफी अलग हैं। परिस्थितियां पहले से शिथिल हैं। राज्य सरकार प्रदेश में किसानों को पहले से ही ब्याज मुक्त लोन और ऋण पर दस फीसदी की सब्सिडी दे रही है। उन्होंने किसानों में गुस्सा और उनको देरी से भुगतान को लिए प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया।

विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने सरकार पर विशाल वित्तीय संकट पर सवाल उठाए थे और इसके लिए खराब आर्थिक प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया था। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा था कि, "मैंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से श्वेत पत्र जारी कर आर्थिक हालातों के बारे में समझाने के लिए कहा था लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला।" सूत्रों के मुताबिक पिछले कुछ सालों से बीजेपी सरकार ऋण और ब्याज का भुगतान करने का समय बदलती रही थी। विधानसभा चुनाव से पहले लोकलुभावन योजनाओं को लॉन्च करने के लिए ऐसा किया जा रहा था। इनमें संबल योजना, शिक्षकों का संविलियन, जूनियर डॉक्टर के भत्तों में बढ़ोतरी, प्रदेश के विभिन्न जिलों में मेडिकल कॉलेज खोलने की योजना शामिल है।

कांग्रेस की घोषणा का किसानों पर बड़ा असर 

चुनाव से 6 महीने पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के कर्ज माफी के एलान के बाद किसानों को नतीजों का इंतजार है। भाजपा जहां कांग्रेस की घोषणा की काट नहीं ढूंढ पाई, वहीं इस घोषणा ने किसानों पर बड़ा असर डाला है। घोषणा के बाद से ही प्रदेश के किसानों ने कर्ज चुकाना ही बंद कर दिया और सहकारी बैंकों की वसूली 90 फीसदी तक गिर गई। आंकड़ों के अनुसार, कर्जमाफी की घोषणा से पहले प्रदेश के किसान हर महीने 3000 करोड़ रुपए तक कर्ज चुका रहे थे। छह महीने बाद यह आंकड़ा 261 करोड़ पर आ गया है। वसूली के ये घटते आंकड़े बताते हैं कि किसानों में कर्जमाफी की उम्मीद बढ़ी है। जानकारों के अनुसार कांग्रेस की सरकार बनती है तो कर्जमाफी का वादा पूरा करने में करीब 18 हजार करोड़ का बोझ सरकारी खजाने पर आएगा। कांग्रेस ने घोषणापत्र में किसानों के 2 लाख तक का कर्जा माफ करने का वादा किया है। इस घोषणा को पूरा करने में करीब 16 हजार करोड़ के बोझ का अनुमान है। लेकिन इसमें यदि केवल डिफॉल्टर किसान और तय मापदंडों के हिसाब से किसानों को लिया गया तो यह कर्ज माफी 10 हजार करोड़ तक सिमट सकती है।

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