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 सवर्णों का एससी/एसटी एक्ट का विरोध बना शिवराज सरकार के लिए सर दर्द

भोपाल - मध्य प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा एससी-एसटी एक्ट के बढ़ते विरोध को शांत करने में जुट गई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को कहना पड़ा कि इस एक्ट में बिना जांच किसी की गिरफ्तारी नहीं होगी। प्रदेश में हर वर्ग के हितों का ख्याल रखा जाएगा। हालांकि, सवर्ण समाज का कहना है कि जब तक मोदी सरकार संविधान संशोधन वापस नहीं लेती तब तक एक्ट का विरोध जारी रहेगा।
          हालांकि, दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा और कांग्रेस के नेताओं को सवर्ण समाज के विरोध का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन भाजपा की मुश्किल ज्यादा है। वह नहीं चाहती कि लगातार चौथी बार सरकार में आने के लिए सवर्ण समाज की नाराजगी बाधा बने। यही सोचकर पार्टी ने डैमेज कंट्रोल की रणनीति बनाई है।
          राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल हाल में भोपाल आकर प्रदेश के नेताओं से बात कर चुके हैं। सवर्ण समाज के मंत्रियों सांसदों को अलग-अलग इलाकों की जिम्मेदारी सौंपी गई है। ओबीसी समुदाय से आने वाले मुख्यमंत्री चौहान पिछड़ा वर्ग का महाकुंभ कर चुके हैं। एक्ट के दुरुपयोग के बारे में उनका यह बयान भी रामलाल के दौरे के बाद आया कि बिना जांच किसी की गिरफ्तारी नहीं होगी।
         जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री ने इस मामले में कानूनविदों की राय ली है, जो यह कहती है कि सरकार को प्रशासनिक निर्णय लेने का अधिकार है। गृह विभाग सारे पहलुओं का अध्ययन करने के बाद इस बारे में दिशा निर्देश जारी कर सकता है। हालांकि, एक्ट के विरोधी मुख्यमंत्री के बयान को महज चुनावी झुनझुना मान रहे हैं।
बसपा के प्रदेशाध्यक्ष प्रदीप अहिरवार ने कहा है कि सीएम संविधान से बडे़ नहीं हैं।

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