पंचतत्व में विलीन भारत रत्न बेटी ने दी मुखाग्नि राजकीय सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार
नई दिल्ली- भारतीय राजनीति के युगपुरुष रहे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी शुक्रवार को शाम यहां यमुना के किनारे पंचतत्व में विलीन हो गए और पूरे देश ने नम आंखों से अपने प्रिय नेता को अंतिम विदाई दी।
NE18- शांतिवन के निकट स्मृति स्थल पर राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री समेत देश विदेश के शीर्ष नेताओं की मौजूदगी में पूर्ण राजकीय सम्मान से पारंपरिक सनातन रीति से उनका अंतिम संस्कार किया गया। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह और पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने वाजपेयी को श्रद्धासुमन अर्पित किए।
इसके बाद पार्थिव शरीर से लिपटा हुआ तिरंगा वाजपेयी की नातिन को सौंप दिया गया। वाजपेयी के पार्थिव शरीर को फूलों से सजे एक वाहन पर रखा गया था और वाहन पर रंग बिरंगी बड़ी छतरियां लगाई गई थी।
इस मौके पर भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक समेत करीब आठ देशों के प्रतिनिधियों और बड़ी संख्या में राजनयिकों की उपस्थिति में हजारों लोगों ने नम आंखों से अपने प्रियनेता को अंतिम विदाई दी। वाजपेयी की दत्तक पुत्री नमिता कौल भट्टाचार्य ने अपने पिता की चिता को मुखाग्नि दी जबकि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा दिवंगत नेता को राष्ट्रीय सलामी और अन्य शीर्ष राजनेताओं द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद श्रीमती भट्टाचार्य की पुत्री को सेना ने राष्ट्रध्वज सौंपा।
बादल भी बरसे-
वाजपेयी के शरीर को चंदन की लकड़ी से सजाई गई चिता पर रखे जाने के बाद आसमान में उमड़ रहे बादल बरस पड़े और कुछ मिनटों में जमीन को नम करने के बाद शांत हो गए। श्रीमती नमिता कौल भट्टाचार्य ने जैसे ही पिता की चिता को मुखाग्नि दी वैसे ही लोगों की भावनाओं का ज्वार उफनने लगा और 'अटल बिहारी वाजपेयी अमर रहें', 'भारत माता की जय' एवं 'वंदे मातरम' के नारों से आसमान गूंज उठा। वाजपेयी के भांजे एवं सांसद अनूप मिश्रा ने अंतिम संस्कार की विधि में अपनी बहन को सहयोग दिया।
अंत्येष्टि स्थल के पास बने एक मंच पर 20 से अधिक वेदपाठी ब्राह्मण लगातार मंत्रोच्चार करते रहे। अंतिम संस्कार के कई घंटे पहले ही स्मृति स्थल पर लोगों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था। लेकिन सड़कों पर वीवीआईपी मूवमेंट के कारण यातायात रोक देने के कारण परेशानी के बावजूद लोग उमसभरी गर्मी की परवाह ना करके वहां पहुंचे।
पैदल चल रहे थे बड़े नेता-
दोपहर सवा दो बजे भाजपा के दीनदयाल उपाध्याय मार्ग स्थित मुख्यालय से शुरू हुई अंतिम यात्रा करीब डेढ़ घंटे बाद लगभग तीन बजकर 50 मिनट पर स्मृति स्थल पहुंची। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान केंद्रीय मंत्री विजय गोयल, दिल्ली प्रदेश भाजपा के प्रमुख मनोज तिवारी, युवा सांसद अनुराग ठाकुर समेत कई अन्य नेता पूरी अंतिम यात्रा में पैदल चले। सफेद कुर्ता और पैजामा पहने मोदी पसीने से तरबतर होने पर रूमाल से बार बार अपने चेहरे को साफ कर रहे थे। इस असाधारण दृश्य को देखकर सड़कों के किनारे खड़े लोग विस्मित थे।
इस मौके पर राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, समाजवादी पार्टी के नेता मुलायमसिंह यादव, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत, अकाली दल के सुखबीरसिंह बादल थे।
उमड़ा जनसैलाब-
अंतिम संस्कार के समय स्मृति स्थल के आस पास जन समूह का सैलाब उमड़ पड़ा और वाजपेयी अमर रहे के नारों से आसमान गूंजने लगा। लाखों की तादाद में बच्चे, बूढ़े, स्त्रियां, युवक, किसान, कामगार तथा व्यापारी अपने प्रिय नेता की झलक देखने के लिए मौजूद थे। अंतिम यात्रा आईटीओ, दिल्ली गेट, दरियागंज होते हुए स्मृति स्थल पहुंची और रास्ते में दोनों ओर लाखों की संख्या में लोग खड़े थे और पुष्प वर्षा कर रहे थे तथा नारे लगा रहे थे।
इस मौके पर तीनों थलसेना, वायुसेना और नौसेना सेना के दस्ते मौजूद थे। थलसेना की मराठा, सिख और गोरखा रेजिमेंट के जवान भी उपस्थित थे। रक्षामंत्री निर्मला सीमारमण और कई केंद्रीय मंत्री तथा भाजपा के वरिष्ठ नेता व्यक्तिगत रुप से पहले से ही स्मृति स्थल पर मौजूद थे और निगरानी कर रहे थे। वाजपेयी के अंतिम संस्कार के समय उनके परिवार के लोगों भी उपस्थित थे।
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