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आने वाले चुनावों में पड़ेगा पास नेता हार्दिक पटेल के अनशन का असर

अहमदाबाद- राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने यहां अपने आवास पर आमरण अनशन पर बैठे पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति (पास) के नेता हार्दिक पटेल से मुलाकात की।  उधर, गत 25 अगस्त से किसानों की कर्ज माफी और पाटीदार समुदाय को आरक्षण समेत अन्य मुद्दों पर अनशन पर बैठे हार्दिक का एक किलो वजन घट गया है। सोला सिविल अस्पताल के चिकित्सकों की टीम की ओर से की गई स्वास्थ्य जांच में उनके वजन में एक किलो की गिरावट की बात सामने आई। टीम ने हार्दिक को फल एवं जूस लेने की सलाह दी है नहीं तो किडनी पर असर पडऩे की बात कही है। हार्दिक पटेल को हॉस्पिटल में भर्ती होने की भी सलाह दी गई। हालांकि चिकित्सकों ने उन्हे अधिक मात्रा में तरल पदार्थ और फलों के रस लेने की सलाह दी है।
हार्दिक का खुल कर समर्थन कर रही है विपक्षी दल कांग्रेस
 बाहर अनशन की अनुमति नहीं मिलने पर अपने घर पर ही उपवास पर बैठे हार्दिक का मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस खुल कर समर्थन कर रही है। कल उसके 28 विधायक उनसे मिलने आये थे और उनके मुद्दे को लेकर पार्टी के विधायकों का एक दल राज्य मानवाधिकार आयोग भी पहुंचा था।   इस बीच, श्री प्रफुल्ल पटेल ने हार्दिक से मुलाकात के बाद पत्रकारों से कहा कि गुजरात सरकार को पास नेता से बातचीत करना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार और पुलिस दमनकारी रवैया अपना रहे हैं और हार्दिक तथा उनके समर्थकों के साथ अपराधियों जैसा बर्ताव कर रहे हैं। अनशन स्थल को जेल जैसा बना दिया गया है और अनशन से मिलने वालों को भी अपराधी होने का एहसास कराया जा रहा है।
प्रमुख विपक्षी नेता के करेंगे अनशन कार्यक्रम में शिरकत
 ज्ञातव्य है कि हार्दिक ने दावा किया था कि बंगाल की मुख्यमंत्री सुश्री ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केंजरीवाल, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव समेत अन्य प्रमुख विपक्षी नेता आने वाले दिनों में उनके अनशन कार्यक्रम में शिरकत करेंगे।   इससे पहले मध्य प्रदेश और राजस्थान के किसान नेताओं का एक दल भी हार्दिक से मुलाकात करने पहुंचा। उनके पूर्व सहयोगी दिलीप साबवा भी उनसे मिले। हालांकि मुलाकात से पहले पुलिस की ओर से जांच आदि को लेकर दोनो पक्षों में कहासुनी भी हुई।
इन राज्यों को प्रभावित करेगा हार्दिक का अनशन
वहीं अब सवाल यह भी उठ रहा है कि आरक्षण के संवेदनशील और भावनात्मक मसले पर चल रहा उनका आमरण अनशन राजनीतिक रूप से बहुत असर डालने वाला हो सकता है। अगले दो तीन महीने में गुजरात से सटे दो बड़े राज्यों राजस्थान और मध्य प्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। हार्दिक का अनशन इन राज्यों को प्रभावित करेगा।

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