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 7 माह की बच्ची से दुष्कर्म करने वाले को सजा-ए-मौत - कोर्ट ने 22 दिन में सुनाया फैसला

अनुसूचित जाति जनजाति निवारण प्रकरण के विशिष्ट न्यायाधीश जगेंद्र अग्रवाल ने एक मामले में प्रतिदिन सुनवाई करते हुए मात्र 22 दिन में अपहरण एवं दुष्कर्म के आरोपी को फांसी की सजा सुनाई,
      राजस्थान के अलवर के लक्ष्मणगढ़ थाना इलाके में 7 माह की दुधमुंही बच्ची को अपनी हवस का शिकार बनाने वाले आरोपी पिंटू  भराड़ा कोप्रतिदिन सुनवाई करते हुए मात्र 22 कार्य दिवस में विभिन्न धाराओं में दोषी मानते हुए आरोपी को मौत की सजा सुनाई है, मात्र 2 माह 11 दिन मैं आरोपी को सजा सुनाते हुए न्यायाधीश ने कठोर कानून बनाने के लिए सरकार को धन्यवाद देते हुए कहा कि लोगों में जागरूकता की जरूरत है दरअसल केंद्र सरकार ने पोक्सो एक्ट मैं हाल ही में किए गए संशोधन के बाद 12 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों से दुष्कर्म के मामले में मौत की सजा का प्रावधान किया गया हैI पुलिस ने दुष्कर्म के मामले में आरोपी के विरुद्ध भारतीय दंड विधान की धारा 363, 366, 376 एबी 5 एम/6  पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया था,

यह था मामला
     गत 9 मई को लक्ष्मणगढ़ इलाके में रहने वाले आरोपी 19 वर्षीय पिंटू भराड़ा दृष्टिह ताई की  गोद में खेल रही 7 माह की बच्ची को छीन कर ले गया था,  बाद में उसने गांव के जोहड़ के पास ले जाकर मासूम से दरिंदगी की, जानकारी मिलने पर ग्रामीणों ने आरोपी को पकड़ कर उसकी जमकर पिटाई की बाद में उसे पुलिस के हवाले कर दिया थाI
     वारदात के समय पीड़ित बच्ची की मां पानी लेने गई हुई थी इस दौरान वह 7 माह की बेटी को अपनी दृष्टि से जेठानी के पास छोड़ कर गई थी,  10 मई को पुलिस में मामला दर्ज हुआ और उसके बाद पुलिस ने 18 मई को कोर्ट में चालान पेश किया कोर्ट ने इस संवेदनशील मामले में प्रतिदिन सुनवाई करते हुए 22 कार्य दिवस में आरोपी को फांसी की सजा सुना दी I

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