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नई दिल्ली : केजरीवाल का धरना 9 दिन बाद खत्म, मीटिंग में आ रहे हैं IAS अधिकारी

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नई दिल्ली: दिल्ली में एलजी हाउस में पिछले नौ दिन से जारी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके तीन साथी मंत्रियों का धरना आज खत्म हो गया. डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि अब आईएएस अधिकारी बैठक में आ रहे हैं. उन्होंने कहा, ''मेरी कुछ अधिकारियों से बात हुई, उन्होंने कहा है कि वो काम पर आएंगे, ये अच्छी बात है. कई मुद्दे थे जो मंत्रियों और सचिवों की बात के बिना हल नहीं हो सकते थे. उम्मीद है कि ऐसी बातचीत आगे भी होती रहेगी. जल्द ही पुरानी स्थिति बन जाएगी, अब अधिकारियों से रोज ही मुलाकात होगी.'' मनीष सिसोदिया इस मौके पर एलजी पर निशाना साधना नहीं भूले, उन्होंने कहा कि अच्छी बात तो तब होती जब एलजी साहब पहली मुलाकात में ही ये मान लेते.


दिल्ली HC ने पूछा- किसकी अनुमति से एलजी हाउस में धरना?
कल बीजेपी नेता विजेंदर गुप्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने एलजी हाउस में केजरीवाल के धरने को असंवैधानिक बताया था. हाई कोर्ट ने कहा था कि आखिर किसकी इजाजत से मुख्यमंत्री और उनके साथी एलजी हाउस में धरने पर बैठे हैं. हाईकोर्ट ने कहा कि आप किसी के घर में जबरन अंदर बैठकर धरना नहीं दे सकते हैं. जहां पर मुख्यमंत्री धरना दे रहे हैं वह उपराज्यपाल के कार्यालय का हिस्सा है.

विपक्ष का मिला साथ
केजरीवाल के धरना प्रदर्शन का पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल के मुख्यमंत्री समर्थन कर चुके हैं. चारों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने रविवार को इस संबंध में नीति आयोग की बैठक से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी. आम आदमी पार्टी ने जब एलजी के खिलाफ मंडी हाउस से संसद मार्ग तक मार्च निकाला तो उसमें भी सीपीएम का साथ मिला.

किन मागों को लेकर किया धरना?
मुख्यमंत्री केजरीवाल तीन मांगों को लेकर एलजी से मिलने गए थे, एलजी ने जब मांगे नहीं मानी तो वो एलजी हाउस के वेटिंग रूम में ही दरने पर बैठ गए. अरविंद केजरीवाल की तीनों मागें दिल्ली के आईएएस अधिकारियों से जुड़ी थीं. केजरीवाल की पहली मांग थी कि एलजी खुद IAS अधिकारियों की गैरकानूनी हड़ताल तुरंत खत्म कराएं, क्योंकि वो सर्विस विभाग के मुखिया हैं. दूसरा काम रोकने वाले IAS अधिकारियों के खिलाफ सख्त एक्शन लें और तीसरी मांग थी कि राशन की डोर-स्टेप-डिलीवरी की योजना को मंजूरी दें.


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