200 बर्षों से भर रही ऐतिहासिक मड़ई का हुआ समापन, ग्वालों का नृत्य रहा आकर्षक का केंद्र
नरसिंहपुर/बगासपुर:- 29 अक्टूबर 2022 (मोहन सिंह राजपूत)- दीपों के पर्व दीपावली के पश्चात मड़ई मेलो का दौर प्रारंभ हो जाता है, शहरी क्षेत्रों के साथ साथ ग्रामीण क्षेत्रों में मड़ई मेलो को परंपरागत रूप से मनाने की परंपरा है।
आज के आधुनिक दौर में जहां तकनीकी और डिजिटल युग की बात की जाती है वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में लगने वाले इन मड़ई मेलों में जुट रही भीड़ हमारी सनातन संस्कृति और परंपरा को जीवित रखे हुए है।
भारतीय संस्कृति को यदि देखना और महसूस करना है तो गांव में आईये, यहां आपको भारतीयता और सनातन संस्कृति के अलावा हमारी धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं के दर्शन होंगे।
नरसिंहपुर जिले के गोटेगांव ब्लाक की ग्रामपंचायत बगासपुर में प्रतिबर्ष दीपावली के बाद तृतीया तिथि को मड़ई का आयोजन किया जाता है।
बताया जाता है कि बगासपुर में आजादी के पूर्व से ही मालगुजारी शासन रहा, बताते है कि विगत 200 बर्षों से यहां की बड़ी बखरी के मालगुजारों के समय से इस मड़ई का आयोजन होता आ रहा है, वर्तमान में चौधरी सुधीर सिंह पटेल अब इस परंपरा को निभा रहे हैं।
इससे पहले पूर्वजों में चौधरी पुहप सिंह, चौधरी खोबा सिंह, चौधरी छतर सिंह, और उनके बाद चौधरी वीरेंद्र सिंह, चौधरी सुरेन्द्र सिंह, इस परंपरा को निभाते रहे।
वर्तमान पीढ़ी में चौधरी राघवेंद्र सिंह, चौधरी सुधीर सिंह, चौधरी गंगाशरण पप्पू, एवं चौधरी नीलमणि, चौधरी शंकर शरण, चौधरी ब्रजमोहन पटेल में से अब इस रीति को चौधरी सुधीर सिंह पटेल निभा रहे हैं।
मड़ई के आयोजक सुधीर पटेल द्वारा नृत्य में शामिल ग्वालों का फूल माला एवं प्रोत्साहन राशि के साथ सम्मान किया,
बगासपुर की यह मड़ई जिले की सबसे बड़ी मड़ई मानी जाती है, जिसमें सम्पूर्ण जिले के व्यापारी अपनी दुकानें लेकर पहुँचते है।
ग्वालों का अहीर नृत्य मड़ई का मुख्य आकर्षण होता है, वहीं मड़ई में चंडी माता के पूजन का भी अपना अलग महत्व है, ग्वालों ने पारंपरिक वेशभूषा में सज धज कर अहीर नृत्य किया, जिसे देख लोग मंत्र मुग्ध हो गए।
वैसे तो मड़ई में सभी के लिए कुछ न कुछ रहता है लेकिन बच्चों के मनोरंजन के लिए मड़ई में झूले और उछलकूद के साधन भी मौजूद रहे, वहीं महिलाओं के लिए साज सिंगार की दुकानें भी मड़ई में आकर्षण का केंद्र रहीं।
न्यूज़ एक्सप्रेस एटीन के लिए नरसिंहपुर से मोहन सिंह राजपूत की रिपोर्ट
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