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भर्ष्टाचार की भेंट चढ़ा नयाखेड़ा का स्कूल भवन, 2012 से अधूरा पड़ा निर्माण, प्रशासन की आंखों पर अंधत्व का चश्मा


रायसेन/उदयपुरा:-18 मार्च2021 (डालचंद लोधी)- भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा शासकीय प्रायमरी स्कूल का प्रधानाध्यापक एवं अतिरिक्त कक्ष।
देश मे भर्ष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हो गई है कि अब इन्हें उखाड़ फेंकना मुमकिन नहीं लगता।
प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान भले ही भ्रष्टाचारियों को 10 फुट जमीन में गाड़ने की बात करते हों, लेकिन भर्ष्टाचार को मिटाना उतना ही मुश्किल लगता है, जितना गधे के सिर में सींग उगाना।
राय सेन जिले की उदयपुरा जनपद पंचायत की ग्रामपंचायत नयाखेड़ा में इसका जीता जागता उदाहरण देखने को मिलता है, जहां 2012 में स्वीकृत प्राइमरी स्कूल का प्रधानाध्यापक एवं अतिरिक्त कक्ष अब तक अधूरा पड़ा है।
तत्कालीन पंचायत सरपंच तुलसीराम लोधी एवं सचिव संतोष शुक्ला ने उसे भर्ष्टाचार की भेंट चढ़ा दिया, वहीं तत्कालीन सचिव अब बहाने बनाकर लीपापोती करने में लगे हुए है।
हम अपने दर्शकों को बता दें कि बर्ष 2012 में सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत भवन का निर्माण होना था, जिसके निर्माण के लिए 2 लाख 54 हजार रुपये की राशि मंजूर हुई थी, समय पर कार्य पूर्ण नही होने के कारण निर्माण अधूरा पड़ा है।
अधूरे पड़े निर्माण से अब खिड़की दरवाजे भी चोरों की नजर में आ चुके है, और क्रमशः चोरी होने भी लगे है, देखरेख नहीं होने से दीवारें भी दरकने लगी हैं।
तत्कालीन सचिव की देखरेख में यह कार्य पूर्ण होना था, लेकिन सचिव ने सिर्फ दीवारें ही खड़ी की और कार्य अधूरा छोड़ दिया, जिसके लिए सरपंच तुलसीराम लोधी भी उतने ही जिम्मेदार है, जितना सचिव संतोष शुक्ला।
सचिव कहते है कि कार्य के दौरान उनकी पत्नी की मृत्यु हो जाने से कार्य नहीं करा पाए, 2012 की तुलना में 2 लाख 54 हजार रुपए की राशि से बनने वाले भवन की लागत राशि कई गुना बढ़ गई।
अब सबाल यह उठता है कि बढ़ी हुई लागत राशि का भुगतान कौन करेगा, या फिर देश की जनता से टैक्स के रूप में बसूले गए पैसों से इसकी भरपाई की जाएगी।
ऐसा नहीं है कि इतने बड़े भर्ष्टाचार की जानकारी ऊपर बैठे अधिकारियों को ना हो, कलेक्टर से लेकर जिला सीईओ तक को इसकी जानकारी है, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं होना भर्ष्टाचार की जड़ों की गहराई को बयां करता है।
ऐसे ही भ्रष्ट अधिकारियों कर्मचारियों और जनप्रतिनिधियों की लापरवाही की वजह से शासन की कई योजनाओं का लाभ आम जनता तक नहीं पहुंच पाता, और जनता शासन को कोसती रहती है।
प्रशासन को शासन की योजनाओं को क्रियान्वित करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करना होगा, नहीं तो जनता ऐसे ही ठगी जाती रहेगी।

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