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जगत के पालनकर्ता देवाधिदेव महादेव की उपासना का सावन का पहला सोमवार

नरसिहपुर/ 06 जुलाई 2020 (आशीष दुबे)- सावन का महीना वैसे भी भगवान शिव को प्रिय होता है। इस महीने में यदि कोई प्रतीक स्वरूप भी शिवजी की आराधना करें तो उसकी मनोकामना पूरी हो जाती है लेकिन इस साल तो सावन का महीना जैसे सभी शिव भक्तों के लिए भाग्योदय और मनोवांछित फलों की पूर्ति का अवसर लेकर आया है।
श्रावण मास में भगवान शिव की अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसती है। शिव को जल अत्यंत प्रिय है, इसलिए सावन में जो भी भक्त उनका जलाभिषेक करता है, वह उसकी हर मनोकामना पूरी करते हैं। शिव आराधना से भक्तों को समस्त पाप, ताप और संतापों से मुक्ति मिल जाती है। देवाधिदेव महादेव इतने सहज एवं सरल हैं कि जो भी भक्त उनका पूजन-अर्चन करता है, उसे पुण्यफल की प्राप्ति अवश्य कराते हैं। वह अपने भक्तों को न केवल दर्शन, बल्कि पूजा का प्रतिफल भी देते हैं।
यही कारण है कि संपूर्ण ब्रह्मांड में सर्वाधिक अनुयायी भगवान शिव के हैं। देवता हो या दैत्य, शैव हो या वैष्णव, राजा हो या रंक, बुद्धिमान हो या अज्ञानी, सभी का कल्याण करने वाले एकमात्र देवता देवाधिदेव भगवान शिव ही हैं। वह आशुतोष भी हैं, इसलिए उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए केवल गंगा जल ही पर्याप्त होता है। श्रावण मास में शिव साधना के लिए एक माह तक प्रतिदिन गंगा स्नान और आरती के बाद भोलेनाथ का जो श्रृंगार होता है, उसके दर्शनों से भक्तों को आत्म शांति की अनुभूति होने लगती है।
जो भी श्रद्धालु एवं भक्त त्रिनेत्रधारी भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र 'ऊं नम: शिवाय' का सच्चे मन से जाप करता है, भोलेनाथ उसकी सभी मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण करते हैं। वह अपने भक्तों को भवसागर से पार लगाते हैं। यह ऐसा समय है, जब धीरे-धीरे युग परिवर्तन का वातावरण सृजित होता दिखाई दे रहा है। सद्प्रवृत्तियों पर आसुरी प्रवृत्तियां हावी होती जा रही हैं। छल, प्रपंच, झूठ, व्यभिचारऔर भ्रष्टाचार का बोलबाला है। धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि जब आसुरी प्रवृत्तियां चरम पर पहुंचने लगती हैं, तब असुर और अभिमानियों का पतन शुरू हो जाता है। यही दैवीय संपदा के युग की शुरुआत है। पूर्व में ऐसा कई बार हो चुका है। यही सृष्टि का चक्र है, जो निरंतर चलता रहता है।

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