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रायसेन/मंडीदीप - \नाहर प्रबंधन के आगे घुटने टेकता प्रशासन

रायसेन/मंडीदीप- 27 मई 2020 (सत्येन्द्र पांडेय)- रायसेन जिले के औद्योगिक क्षेत्र मंडीदीप स्थित नाहर स्पिनिंग मिल के तानाशाह रवैये के समक्ष स्थानीय प्रशासन और श्रम विभाग के अधिकारी बेबस नजर आ रहे हैं। कल नाहर स्पिनिंग मिल की महिला कर्मचारियों, श्रमिकों का वेतन संबंधी विवाद प्रशासन और श्रम विभाग की मध्यस्थता से हल होना तय था। आज सुबह 11 बजे नाहर प्रबंधन के प्रतिनिधि जी एन शर्मा, तहसीलदार श्री संतोष बिटोलिया और श्रम अधिकारी श्री के एम खींची के साथ श्रमिकों के प्रतिनिधियो की बैठक मंडीदीप स्थित श्रम अधिकारी कार्यालय के परिसर में संपन्न हुई जिसमें नाहर प्रबंधन ने आश्वस्त किया कि वे सभी मांग करने वाली महिला कर्मचारियों और श्रमिकों को लाकडाउन अवधि हेतु 2500 रुपये की राहत राशि त्वरित रूप से प्रदान करेंगे और यह राशि उनके आगामी वेतन में समायोजित भी नहीं की जायेगी।

इस बैठक के पश्चात ही नाहर प्रबंधन ने अपने कथन से पलटते हुऐ कुछ कर्मचारियों के बैंक खाते में 2500 और कुछ के खाते में 1600 रुपये जमा कराये और बैठक के आश्वासन में स्वयं संशोधन करते हुऐ नये विवाद को जन्म दे दिया साथ ही इस असंगति का आधार कर्मचारियों की ज्वाइनिंग तारीख को बनाया। हालांकि श्रम अधिकारी श्री खींची का कहना है कि आगामी एक दो दिनों में सभी कर्मचारियों को उपरोक्त राशि प्राप्त हो जायेगी पर नाहर प्रबंधन की तानाशाही इसी से जाहिर होती है कि श्रम अधिकारी महोदय को भी आश्वासन पत्र लेने हेतु कंपनी प्रवेश द्वार पर मशक्कत करनी पड़ी।

इस विसंगति के सामने आते ही महिला कर्मचारी और श्रमिक तुरंत आक्रामक हो उठे और फैक्टरी मुख्य द्वार के सामने एकत्र हो गये। कर्मचारियों ने प्रशासन और प्रबंधन के फैसले पर अविश्वास जताते हुऐ कहा कि समझौते और बैठक के निराकरण का पालन ना करना यह दर्शाता है कि प्रबंधन इस विषय पर ना तो गंभीर है और ना ही उन्हे प्रशासन का कोई डर है।
न्यूज एक्सप्रेस18 द्वारा मामले पर नाहर स्पिनिंग मिल का पक्ष जानने हेतु लगातार संपर्क करने पर भी जिम्मेदार अधिकारी मुंह छुपाते ही नजर आये। श्रम अधिकारी के कहने पर भी वे कर्मचारियों को संतुष्टीपरक आश्वासन हेतु सामने नहीं आये। पूरे मामले में जो बड़ा प्रश्न उभर कर आया कि आखिर प्रशासन क्यों प्रबंधन को सर्वमान्य हल हेतु राजी नहीं कर पा रहा। प्रबंधन का कद क्या स्थानीय प्रशासन की सीमा से परे है। कर्मचारियों के प्रतिनिधि ने इस आश्वासन पत्र की विसंगति के कारण यह चेतावनी भी दी है कि यदि जल्द ही निराकरण ना किया गया तो सभी पीड़ित आंदोलन हेतु विवश होंगे और अपने अधिकार की लड़ाई को लक्ष्य तक अवश्य पहुंचायेंगे।

पूरे मामले में कंपनी प्रबंधन का रवैया यह दर्शाता है कि उन्हे प्रशासन का ना तो कोई डर है ना ही कर्मचारियो के प्रति उत्तरदायित्व का कोई भान।  जो कर्मचारी वर्षों से एक परिवार की भांति अपने कर्तव्य को समर्पित थे क्या वे अपने भविष्य के प्रति आशंकित नहीं होंगे। क्या प्रशासन अपने जनकल्याणकारी स्वरूप में समस्या का समाधान करेगा। सवाल बहुत से हैं पर समाधान  कुछ भी नहीं..

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