बरघाट नगर परिषद आवास योजना में बड़ा घोटाला 55 हितग्राहियों के 1करोड़ से अधिक का गबन
सिवनी-18जनवरी2020 (नरेश यादव)- जनाधिकार बरघाट का सनसनी खेज खुलासा
बरघाट विगत माह नगर परिषद बरघाट का प्रधानमंत्री आवास योजना से सम्बंधित एक गंभीर मामला सुर्खियों में आया..दिनांक 1/12/19 को नगर परिसद बरघाट के सी.एम.ओ. बी.एल लिल्हारे ने अनिल सिंह ठाकुर एवं सुरेन्द जायसवाल द्वारा 4 फ़रवरी 2019 को कलेक्टर महोदय को की गई आवास योजना घोटाले की लिखित शिकायत में की गई जाँच द्वारा 55 हितग्राही को अपात्र मानते हुये,थाना बरघाट में यह शिकायत दर्ज कराई गई कि नगर परिषद अध्यक्ष श्री रंजीत वासनिक तत्कालीन प्रभारी सी.एम. ओ. भरत गजबे एवं नगर परिषद उपयंत्री शील भालेराव द्वारा 55 हितग्राहियों के करीबन एक करोड़ तेरह लाख रुपए का गबन कर लिया गया है..तत्काल प्रभाव से थाना प्रभारी श्री मरावी द्वारा धारा 409,34,420,467,468 एवं 471 के तहत मामला पंजीकृत कर लिया ध्यातव्य है कि इनमें से अधिकांश धारायें गैर जमानती है.
जनाधिकार बरघाट द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्के मकान बनवाने हेतु गरीबो को दिए जाने वाले ढाई लाख रुपए को दिये जाने हेतु पात्र-अपात्र के सभी नियमो की छान-बीन की गई जो तथ्य सामने आये उसके अनुसार वो सभी हितग्राही जिनकी आय 3 लाख रुपये से कम है,कच्चा मकान है. जमीन संबंधित दस्तावेजो में,भूस्वामी,सरकारी पट्टा,दानपत्र, सहमति पत्र,नगर परिषद की टेक्सेशन रसीद,नगर परिषद बरघाट का निवासी इत्यादि-इत्यादि अर्हताएं है वह इस योजना का लाभ ले सकता है समय-समय पर गरीबो को ज्यादा से ज्यादा इस योजना का लाभ मिल सके इस हेतु सरकार द्वारा इस योजना को सरलीकृत करने हेतु विभिन्न संशोधित सरल नियमावली प्रशासन को भेजी गई. सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध होने के बाद भारत सरकार की सात्विक मंशा स्पष्ट परिलक्षित हुई कि भारत सरकार अधिक से अधिक गरीबो के हित में कार्य करने हेतु उन्हें पक्के मकान उपलब्ध करवाने हेतु कटिबध्द है।
इस सम्पूर्ण प्रक्रिया को पूर्ण करने हेतु हितग्राहियो को नगर परिषद से एक फॉर्म उपलब्ध करवाया जाता है जिसमे हितग्राही को फॉर्म को भरकर उस फॉर्म में उल्लिखित सम्पूर्ण दस्तावेजो की प्रमाणित प्रतियां सलंग्न करनी होती है तथा इस फॉर्म मे अंत मे
नोट- मे स्पष्ट लिखा है कि मेरे द्वारा दी गई जानकारी सत्य है, असत्य पाये जाने पर मेरे विरुद्ध वैधानिक कार्यवाही की जा सकेगी
फॉर्म एवं दस्तावेजों की जांच करने के बाद फॉर्म जमा कर लिया जाता है इसके उपरान्त संबंधित कर्मचारियों एवं अधिकारियों द्वारा मोके पर जाकर हितग्राहियों की पात्रता संबंधित जाँच की जाती है जिसमे पटवारी से लेकर नोडल अधिकारी,सब इंजिनियर, राजस्व अधिकारी,सी.एम.ओ. इत्यादि सम्मलित होती है तत्पश्चात पात्रता हेतु जो अर्हताएं है उसमे हितग्राही खराउतरता है तभी, परिषद अध्यक्ष,तहसीलदार,एस. डी.एम एवं कलेक्टर महोदय पात्रहितग्राहियों की सूची को अनुमोदित करते है।
जनाधिकार समिति द्वारा 55 अपात्र हितग्राहियों की सूची प्राप्त करने के बाद जनाधिकारी समिति के पदाधिकारी श्री विपिन जैन,श्री सचिन जैन,श्री आबीर कुरेशी,श्री अनीश कुरैशी जनाधिकार अध्यक्ष श्री संजय गुप्ता व पत्रिका समाचार के संवाद दाता श्री ह्रदेश त्यागी ,एवं श्री विनोद वासनिक (समाज सेवी) के साथ मिलकर इन अपात्र हितग्राहियो से सघन संपर्क कर सूची में दिये अपात्र होने के कारण (भूमि का अभिलेख नही ) की जानकारी जुटाने का प्रयास किया गया जब यह टीम अपात्र घोषित इन हितग्राहियों से मिली तो पाया कि इन गरीब,लाचार,हितग्राहियों ने शासन द्वारा दिये ढाई लाख रुपियो में, अपना पक्का मकान बना लिया है और इस घटना के बाद उनके अंदर एक घबड़ाहट व्याप्त है यह सोचकर की यदि हम से ढाई लाख रुपये वापिस मांगें गये तो हम क्या हमारी सात पुश्ते भी या ढाई लाख रुपये नही कर पायेगे जनाधिकार समिति के समक्ष यक्ष सवाल यह था कि इनके पास भूमि का अभिलेख है या नही ? इन अपात्र हितग्राहियों से जब जनाधिकार समिति के पदाधिकारी एक-एक कर मिले तो चौकाने वाले तथ्य सामने आये इन अपात्र हितग्राहियों में से अधिकांश हितग्राहियों के पास भू.अभिलेख संबंधित पात्रता प्राप्त करने हेतु आवश्यक दस्तावेजो में से कोई न कोई दस्तावेज इनके पास है वो हितग्राहि निम्नानुसार है-भीमराव भगत ,लक्ष्मण चोले,अंकित मड़ावी,खेरून बी,बकीली बी,जानिया बाई पर्ते, फातिमा खान,यशवंत राव दाड़े,धरम दास लाडे,जितेंद्र सूर्यवंशी,सुरेश सूर्यवंशी,मंगल दास लाडे,राम भरोस ठाकरे,उमेश सूर्यवंशी,श्रीमती झांसी सूर्यवंशी, पामिला मेश्राम,यशोदा टेकाम,बेशाखु मेश्राम,महेतलाल भलावी,राजकुमार मानेश्वर,दिनेश बनवाले, विशाल बागड़े,रविन्द्र मलावी,रामशंकर बनवाले,सुरेश बनवाले,दशरथ बनवाले,जयसिंह उइके,नारायण दास,ब्रम्हे,मनीष बनवाले,श्रीमती हजरनबाई,श्रीमती सोमतिबाई, श्रीमती सोनी मडाये,श्रीमती जयवंतबाई नांन्दने,श्रीमति हरिबाई सिसोदिया,ओमकार दास अवधिया,शंकरलाल चौहान,सुशील हरड़े आदि
इन अपात्र किए गए सही मायने में पात्र गरीब लाचार हितग्राहियों के साथ इस तरह का कूटरचित षड्यंत्र समझ के परे है. समझ के परे है कि जब इन हितग्राहियों के पास भू अभिलेख संबंधित कोई न कोई दस्तावेज था तो इन्होंने फार्म के साथ जमा क्यों नहीं किया अगर उन्होंने जमा किया था जिसके कारण इन्हें पात्र मान राशि इनके खाते में डाली गई थी तो वह दस्तावेज इनकी फाइल से नगर परिषद से कैसे गायब हुए इसमे परिषद कर्मचारीयो एवं सी.एम.ओ का क्या रोले है जांच समिति को किसने भ्रमित किया गलत दिशा में जाँच को ले जानी में किसकी महती भूमिका रही क्या यह कोई राजनीतिक षड्यंत्र है क्या हमेशा सत्ता में काबिज रहने की लालसा रखने वाले कुछ तथाकथित लोगों को गरीबों का विकास नगर का विकास नहीं पच रहा है या फिर नगर परिषद के अध्यक्ष रंजीत वासनिक के जनता के मध्य अनवरत बढ़ते कद को रोकने हेतु कूटरचित चालें चली जा रही है यह जनता और प्रशासन के सोचने का विषय है साथ ही इस तरह की भ्रमित एवं झूठी शिकायत करने वाले अनिल सिंह ठाकुर एवं सुरेन्द्र जायसवाल के खिलाफ कार्यवाही नही होनी चाहिए।
बरघाट विगत माह नगर परिषद बरघाट का प्रधानमंत्री आवास योजना से सम्बंधित एक गंभीर मामला सुर्खियों में आया..दिनांक 1/12/19 को नगर परिसद बरघाट के सी.एम.ओ. बी.एल लिल्हारे ने अनिल सिंह ठाकुर एवं सुरेन्द जायसवाल द्वारा 4 फ़रवरी 2019 को कलेक्टर महोदय को की गई आवास योजना घोटाले की लिखित शिकायत में की गई जाँच द्वारा 55 हितग्राही को अपात्र मानते हुये,थाना बरघाट में यह शिकायत दर्ज कराई गई कि नगर परिषद अध्यक्ष श्री रंजीत वासनिक तत्कालीन प्रभारी सी.एम. ओ. भरत गजबे एवं नगर परिषद उपयंत्री शील भालेराव द्वारा 55 हितग्राहियों के करीबन एक करोड़ तेरह लाख रुपए का गबन कर लिया गया है..तत्काल प्रभाव से थाना प्रभारी श्री मरावी द्वारा धारा 409,34,420,467,468 एवं 471 के तहत मामला पंजीकृत कर लिया ध्यातव्य है कि इनमें से अधिकांश धारायें गैर जमानती है.
जनाधिकार बरघाट द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्के मकान बनवाने हेतु गरीबो को दिए जाने वाले ढाई लाख रुपए को दिये जाने हेतु पात्र-अपात्र के सभी नियमो की छान-बीन की गई जो तथ्य सामने आये उसके अनुसार वो सभी हितग्राही जिनकी आय 3 लाख रुपये से कम है,कच्चा मकान है. जमीन संबंधित दस्तावेजो में,भूस्वामी,सरकारी पट्टा,दानपत्र, सहमति पत्र,नगर परिषद की टेक्सेशन रसीद,नगर परिषद बरघाट का निवासी इत्यादि-इत्यादि अर्हताएं है वह इस योजना का लाभ ले सकता है समय-समय पर गरीबो को ज्यादा से ज्यादा इस योजना का लाभ मिल सके इस हेतु सरकार द्वारा इस योजना को सरलीकृत करने हेतु विभिन्न संशोधित सरल नियमावली प्रशासन को भेजी गई. सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध होने के बाद भारत सरकार की सात्विक मंशा स्पष्ट परिलक्षित हुई कि भारत सरकार अधिक से अधिक गरीबो के हित में कार्य करने हेतु उन्हें पक्के मकान उपलब्ध करवाने हेतु कटिबध्द है।
इस सम्पूर्ण प्रक्रिया को पूर्ण करने हेतु हितग्राहियो को नगर परिषद से एक फॉर्म उपलब्ध करवाया जाता है जिसमे हितग्राही को फॉर्म को भरकर उस फॉर्म में उल्लिखित सम्पूर्ण दस्तावेजो की प्रमाणित प्रतियां सलंग्न करनी होती है तथा इस फॉर्म मे अंत मे
नोट- मे स्पष्ट लिखा है कि मेरे द्वारा दी गई जानकारी सत्य है, असत्य पाये जाने पर मेरे विरुद्ध वैधानिक कार्यवाही की जा सकेगी
फॉर्म एवं दस्तावेजों की जांच करने के बाद फॉर्म जमा कर लिया जाता है इसके उपरान्त संबंधित कर्मचारियों एवं अधिकारियों द्वारा मोके पर जाकर हितग्राहियों की पात्रता संबंधित जाँच की जाती है जिसमे पटवारी से लेकर नोडल अधिकारी,सब इंजिनियर, राजस्व अधिकारी,सी.एम.ओ. इत्यादि सम्मलित होती है तत्पश्चात पात्रता हेतु जो अर्हताएं है उसमे हितग्राही खराउतरता है तभी, परिषद अध्यक्ष,तहसीलदार,एस. डी.एम एवं कलेक्टर महोदय पात्रहितग्राहियों की सूची को अनुमोदित करते है।
जनाधिकार समिति द्वारा 55 अपात्र हितग्राहियों की सूची प्राप्त करने के बाद जनाधिकारी समिति के पदाधिकारी श्री विपिन जैन,श्री सचिन जैन,श्री आबीर कुरेशी,श्री अनीश कुरैशी जनाधिकार अध्यक्ष श्री संजय गुप्ता व पत्रिका समाचार के संवाद दाता श्री ह्रदेश त्यागी ,एवं श्री विनोद वासनिक (समाज सेवी) के साथ मिलकर इन अपात्र हितग्राहियो से सघन संपर्क कर सूची में दिये अपात्र होने के कारण (भूमि का अभिलेख नही ) की जानकारी जुटाने का प्रयास किया गया जब यह टीम अपात्र घोषित इन हितग्राहियों से मिली तो पाया कि इन गरीब,लाचार,हितग्राहियों ने शासन द्वारा दिये ढाई लाख रुपियो में, अपना पक्का मकान बना लिया है और इस घटना के बाद उनके अंदर एक घबड़ाहट व्याप्त है यह सोचकर की यदि हम से ढाई लाख रुपये वापिस मांगें गये तो हम क्या हमारी सात पुश्ते भी या ढाई लाख रुपये नही कर पायेगे जनाधिकार समिति के समक्ष यक्ष सवाल यह था कि इनके पास भूमि का अभिलेख है या नही ? इन अपात्र हितग्राहियों से जब जनाधिकार समिति के पदाधिकारी एक-एक कर मिले तो चौकाने वाले तथ्य सामने आये इन अपात्र हितग्राहियों में से अधिकांश हितग्राहियों के पास भू.अभिलेख संबंधित पात्रता प्राप्त करने हेतु आवश्यक दस्तावेजो में से कोई न कोई दस्तावेज इनके पास है वो हितग्राहि निम्नानुसार है-भीमराव भगत ,लक्ष्मण चोले,अंकित मड़ावी,खेरून बी,बकीली बी,जानिया बाई पर्ते, फातिमा खान,यशवंत राव दाड़े,धरम दास लाडे,जितेंद्र सूर्यवंशी,सुरेश सूर्यवंशी,मंगल दास लाडे,राम भरोस ठाकरे,उमेश सूर्यवंशी,श्रीमती झांसी सूर्यवंशी, पामिला मेश्राम,यशोदा टेकाम,बेशाखु मेश्राम,महेतलाल भलावी,राजकुमार मानेश्वर,दिनेश बनवाले, विशाल बागड़े,रविन्द्र मलावी,रामशंकर बनवाले,सुरेश बनवाले,दशरथ बनवाले,जयसिंह उइके,नारायण दास,ब्रम्हे,मनीष बनवाले,श्रीमती हजरनबाई,श्रीमती सोमतिबाई, श्रीमती सोनी मडाये,श्रीमती जयवंतबाई नांन्दने,श्रीमति हरिबाई सिसोदिया,ओमकार दास अवधिया,शंकरलाल चौहान,सुशील हरड़े आदि
इन अपात्र किए गए सही मायने में पात्र गरीब लाचार हितग्राहियों के साथ इस तरह का कूटरचित षड्यंत्र समझ के परे है. समझ के परे है कि जब इन हितग्राहियों के पास भू अभिलेख संबंधित कोई न कोई दस्तावेज था तो इन्होंने फार्म के साथ जमा क्यों नहीं किया अगर उन्होंने जमा किया था जिसके कारण इन्हें पात्र मान राशि इनके खाते में डाली गई थी तो वह दस्तावेज इनकी फाइल से नगर परिषद से कैसे गायब हुए इसमे परिषद कर्मचारीयो एवं सी.एम.ओ का क्या रोले है जांच समिति को किसने भ्रमित किया गलत दिशा में जाँच को ले जानी में किसकी महती भूमिका रही क्या यह कोई राजनीतिक षड्यंत्र है क्या हमेशा सत्ता में काबिज रहने की लालसा रखने वाले कुछ तथाकथित लोगों को गरीबों का विकास नगर का विकास नहीं पच रहा है या फिर नगर परिषद के अध्यक्ष रंजीत वासनिक के जनता के मध्य अनवरत बढ़ते कद को रोकने हेतु कूटरचित चालें चली जा रही है यह जनता और प्रशासन के सोचने का विषय है साथ ही इस तरह की भ्रमित एवं झूठी शिकायत करने वाले अनिल सिंह ठाकुर एवं सुरेन्द्र जायसवाल के खिलाफ कार्यवाही नही होनी चाहिए।
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