सम्पूर्ण नरसिंहपुर जिला कोलाहल प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित (विधानसभा निर्वाचन- 2018)
लाउड स्पीकर का उपयोग रात्रि 10 बजे से सुबह 6 बजे तक प्रतिबंधित रहेगा
विधानसभा निर्वाचन 2018 को दृष्टिगत रखते हुए जिला दंडाधिकारी अभय वर्मा ने सम्पूर्ण नरसिंहपुर जिले को कोलाहल प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित किया है। इस संबंध में मध्यप्रदेश कोलाहल नियंत्रण अधिनियम 1985 के प्रावधानों के तहत आदेश जारी किया गया है।
इस सिलसिले में जारी आदेश में कहा गया है कि सम्पूर्ण निर्वाचन अवधि के दौरान निर्वाचन प्रचार- प्रचार के उद्देश्य से किसी भी प्रकार के वाहन आदि पर रखे गये लाउड स्पीकर का प्रयोग ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों में रात्रि 10 बजे से सुबह 6 बजे तक के बीच किसी भी स्थान पर नहीं किया जा सकेगा। इसमें स्पष्ट किया गया है कि सुबह 6 बजे से रात्रि 10 बजे तक ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों में सक्षम अधिकारी से अनुमति लेकर ही लाउड स्पीकरों का उपयोग किया जा सकेगा।
चुनाव प्रचार- प्रसार के दौरान वाहनों आदि पर केवल लाउड स्पीकर का उपयोग ध्वनि विस्तारक यंत्र के रूप में किया जा सकेगा। डीजे व अन्य ध्वनि विस्तारक यंत्र इस कार्य के लिए उपयोग में नहीं लाये जा सकेंगे। सार्वजनिक सभा या जुलूस के उद्देश्य से लाउड स्पीकर का प्रयोग करने के लिए सरकारी अधिकारियों से पूर्व में लिखित अनुमति प्राप्त करना होगी। अनुमति देते समय यह सुनिश्चित किया जायेगा कि लोक शांति और प्रशासन में इससे कोई बाधा नहीं हो रही है। अनुमति देते समय किसी राजनैतिक दल या अभ्यर्थी के साथ पक्षपात या किसी के विरूद्ध भेदभाव नहीं हो, यह सुनिश्चित किया जायेगा।
सभी लाउड स्पीकरों का उपयोग, चाहे वह सामान्य प्रचार हो या सार्वजनिक बैठकों, जुलूसों में हो और चलती हुई गाड़ियों या अन्य प्रकार से हो। इसमें उल्लेखित नियंत्रित घंटों के दौरान ही लाउड स्पीकर उपयोग किया जायेगा और इसके बाद कदापि नहीं। निर्धारित समय के बाद या लिखित अनुमति के बगैर लाउड स्पीकरों का प्रयोग करने पर लाउड स्पीकरों के साथ उससे संबंधित सभी उपकरणों को जप्त कर लिया जायेगा।
सभी राजनैतिक दल, अभ्यर्थी और अन्य कोई दल, कोई भी व्यक्ति चलती हुई गाड़ियों, जैसे ट्रकों, टेम्पो, टेक्सियों, वेनों, तिपहिया, स्कूटरों, साइकिल, रिक्शा, आटोरिक्शा आदि और अन्य वाहनों में किसी भी प्रकार के लाउड स्पीकरों का प्रयोग करते हुए उन गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन/ पहचान संख्या, अनुमति देने वाले प्राधिकारियों को सूचित करना होगी। ऐसी गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन/ पहचान संबंधी विवरण प्राधिकारियों द्वारा स्वीकृत परमिटों पर भी दर्शाया जायेगा।
किसी भी वाहन में उक्त लिखित परमिट के बिना लाउड स्पीकरों का प्रयोग होने पर लाउड स्पीकरों के साथ उससे संबंधित सभी उपकरणों एवं वाहन को जप्त कर लिया जायेगा। लाउड स्पीकरों के प्रयोग करने की अनुमति देने के लिए संबंधित अनुविभागीय राजस्व अधिकारी को जिला दंडाधिकारी द्वारा अधिकृत किया गया है। राजनैतिक दल, अभ्यर्थी और अन्य व्यक्ति स्थानीय पुलिस अधिकारियों को लिखित में उनके द्वारा प्राप्त परमिटों का, जो उन्होंने ऐसे किसी लाउड स्पीकर के मामले में उन्हें वाहनों का रजिस्ट्रेशन/ पहचान नम्बर संबंधित अधिकारियों और स्थानीय पुलिस अधिकारियों के पास रजिस्टर्ड कराना अनिवार्य होगा। लाउड स्पीकरों के प्रयोग के लिए परमिट स्वीकृत करना संबंधित अनुविभागीय राजस्व अधिकारी का दायित्व होगा। इस संबंध में जारी निर्देशों के उल्लंघन को गंभीरता से लिया जायेगा और दांडिक कार्रवाई की जायेगी।
उक्त आदेश राष्ट्रीय, सामाजिक समारोहों और धार्मिक उत्सवों के अवसर पर धार्मिक स्थानों तथा परिसरों पर ध्वनि विस्तारक यंत्रों के उपयोग को जहां कि ऐसा उपयोग परम्परागत रूप से होता आ रहा है, जैसे मस्जिदों की अजानों मात्र और मंदिर की आरती मात्र के समय लागू नहीं होगा।
विधानसभा निर्वाचन 2018 को दृष्टिगत रखते हुए जिला दंडाधिकारी अभय वर्मा ने सम्पूर्ण नरसिंहपुर जिले को कोलाहल प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित किया है। इस संबंध में मध्यप्रदेश कोलाहल नियंत्रण अधिनियम 1985 के प्रावधानों के तहत आदेश जारी किया गया है।
इस सिलसिले में जारी आदेश में कहा गया है कि सम्पूर्ण निर्वाचन अवधि के दौरान निर्वाचन प्रचार- प्रचार के उद्देश्य से किसी भी प्रकार के वाहन आदि पर रखे गये लाउड स्पीकर का प्रयोग ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों में रात्रि 10 बजे से सुबह 6 बजे तक के बीच किसी भी स्थान पर नहीं किया जा सकेगा। इसमें स्पष्ट किया गया है कि सुबह 6 बजे से रात्रि 10 बजे तक ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों में सक्षम अधिकारी से अनुमति लेकर ही लाउड स्पीकरों का उपयोग किया जा सकेगा।
चुनाव प्रचार- प्रसार के दौरान वाहनों आदि पर केवल लाउड स्पीकर का उपयोग ध्वनि विस्तारक यंत्र के रूप में किया जा सकेगा। डीजे व अन्य ध्वनि विस्तारक यंत्र इस कार्य के लिए उपयोग में नहीं लाये जा सकेंगे। सार्वजनिक सभा या जुलूस के उद्देश्य से लाउड स्पीकर का प्रयोग करने के लिए सरकारी अधिकारियों से पूर्व में लिखित अनुमति प्राप्त करना होगी। अनुमति देते समय यह सुनिश्चित किया जायेगा कि लोक शांति और प्रशासन में इससे कोई बाधा नहीं हो रही है। अनुमति देते समय किसी राजनैतिक दल या अभ्यर्थी के साथ पक्षपात या किसी के विरूद्ध भेदभाव नहीं हो, यह सुनिश्चित किया जायेगा।
सभी लाउड स्पीकरों का उपयोग, चाहे वह सामान्य प्रचार हो या सार्वजनिक बैठकों, जुलूसों में हो और चलती हुई गाड़ियों या अन्य प्रकार से हो। इसमें उल्लेखित नियंत्रित घंटों के दौरान ही लाउड स्पीकर उपयोग किया जायेगा और इसके बाद कदापि नहीं। निर्धारित समय के बाद या लिखित अनुमति के बगैर लाउड स्पीकरों का प्रयोग करने पर लाउड स्पीकरों के साथ उससे संबंधित सभी उपकरणों को जप्त कर लिया जायेगा।
सभी राजनैतिक दल, अभ्यर्थी और अन्य कोई दल, कोई भी व्यक्ति चलती हुई गाड़ियों, जैसे ट्रकों, टेम्पो, टेक्सियों, वेनों, तिपहिया, स्कूटरों, साइकिल, रिक्शा, आटोरिक्शा आदि और अन्य वाहनों में किसी भी प्रकार के लाउड स्पीकरों का प्रयोग करते हुए उन गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन/ पहचान संख्या, अनुमति देने वाले प्राधिकारियों को सूचित करना होगी। ऐसी गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन/ पहचान संबंधी विवरण प्राधिकारियों द्वारा स्वीकृत परमिटों पर भी दर्शाया जायेगा।
किसी भी वाहन में उक्त लिखित परमिट के बिना लाउड स्पीकरों का प्रयोग होने पर लाउड स्पीकरों के साथ उससे संबंधित सभी उपकरणों एवं वाहन को जप्त कर लिया जायेगा। लाउड स्पीकरों के प्रयोग करने की अनुमति देने के लिए संबंधित अनुविभागीय राजस्व अधिकारी को जिला दंडाधिकारी द्वारा अधिकृत किया गया है। राजनैतिक दल, अभ्यर्थी और अन्य व्यक्ति स्थानीय पुलिस अधिकारियों को लिखित में उनके द्वारा प्राप्त परमिटों का, जो उन्होंने ऐसे किसी लाउड स्पीकर के मामले में उन्हें वाहनों का रजिस्ट्रेशन/ पहचान नम्बर संबंधित अधिकारियों और स्थानीय पुलिस अधिकारियों के पास रजिस्टर्ड कराना अनिवार्य होगा। लाउड स्पीकरों के प्रयोग के लिए परमिट स्वीकृत करना संबंधित अनुविभागीय राजस्व अधिकारी का दायित्व होगा। इस संबंध में जारी निर्देशों के उल्लंघन को गंभीरता से लिया जायेगा और दांडिक कार्रवाई की जायेगी।
उक्त आदेश राष्ट्रीय, सामाजिक समारोहों और धार्मिक उत्सवों के अवसर पर धार्मिक स्थानों तथा परिसरों पर ध्वनि विस्तारक यंत्रों के उपयोग को जहां कि ऐसा उपयोग परम्परागत रूप से होता आ रहा है, जैसे मस्जिदों की अजानों मात्र और मंदिर की आरती मात्र के समय लागू नहीं होगा।
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