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CM पर लगा कैंसर फैलाने वाले जूते-चप्पल बांटने का आरोप,MP में जूतों पर गरमाई सियासत

MP में जूतों पर गरमाई सियासत, CM पर लगा कैंसर फैलाने वाले जूते-चप्पल बांटने का आरोप
भोपाल - मध्य प्रदेश में साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर और आदिवासी वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए सीएम शिवराज सिंह चौहान ने ‘निशुल्क चरण पादुका योजना’ के तहत आदिवासियों को जूते-चप्पल बांटने की शुरुआत की। लेकिन, मामले में हुए एक खुलासे ने प्रदेश की राजनीति में हलचल पैदा कर दी। दरअसल केंद्रीय चर्म अनुसंधान संस्थान की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि आदिवासियों को बांटे गए जूते-चप्पल में खतरनाक एजेडओ कैमिकल मिला है, जो कि त्वचा के कैंसर का कारण बनता हैं। इस खुलासे के बाद अब विपक्ष भी सीएम शिवराज पर आदिवासियों को कैंसर फैलाने वाले जूते-चप्पल बांटने के आरोप लगा रहा है।
राज्य मानवाधिकार आयोग ने मांगी रिपोर्ट
     इस घटना से पूरे प्रदेश में हलचल पैदा हो गई थी। हरकत में आते हुए राज्य मानवाधिकार आयोग ने आदिवासियों के स्वास्थ्य को लेकर चिंता जताई। आयोग ने कड़ा रुख अपनाते हुए मध्य प्रदेश लघु उद्योग निगम से मामले की रिपोर्ट मांगी है।
अक्रामक हुआ विपक्ष
जूते-चप्पल बांटने के मामले पर कांग्रेस शिवराज सरकार के प्रति आक्रामक हो गई है। प्रदेश कांग्रेस मीडिया प्रभारी शोभा ओझा ने आरोप लगाया है कि इस योजना के तहत तेंदूपत्ता संग्राहकों में बांटे गए जूतों के इनर सोल में स्किन कैंसर पैदा करने वाला हानिकारक रसायन एजेडओ मिला हुआ है। उन्होंने कहा,‘कांग्रेस अब अपने स्तर पर इसकी प्रयोगशाला जांच के बाद इस मामले में उचित कानूनी कार्रवाई करेगी'।
     इससे पहले मध्यप्रदेश कांग्रेस ने ट्वीटर अकाउंट पर लिखा कि ‘मप्र सरकार की आदिवासियों को कैंसर देने की साज़िश..! शिवराज सरकार ने 10 लाख आदिवासियों को त्वचा का कैंसर रोग देने वाले जूते-चप्पल बाँटे..? केन्द्रीय चर्म संस्थान की जाँच में ख़ुलासा। शिवराज जी, आदिवासियों से कोई पुरानी दुश्मनी..? या आदिवासी मुक्त मप्र चाहते हैं..?
     कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ ने अपने ट्वीटर अकाउंट में लिखा कि‘लाखों तेन्दुपत्ता संग्राहक आदिवासी भाई-बहनों को शिवराज सरकार द्वारा बांटे गये जूते-चप्पलों में केंद्रीय चर्म संस्थान की रिपोर्ट मे केंसर की संभावना वाले रसायन के मिलने का खुलासा बड़ा ही चिंतनीय,आखिर जान से खिलवाड़ की इजाजत कैसे? बगैर जाँच के कैसे बँटे लाखों जूते-चप्पल? दोषी कौन?
      लाखों तेन्दुपत्ता संग्राहक आदिवासी भाई-बहनों को शिवराज सरकार द्वारा बाँटे गये जूते-चप्पलों में केंद्रीय चर्म संस्थान की रिपोर्ट मे केन्सर की संभावना वाले रसायन के मिलने का खुलासा बड़ा ही चिंतनीय,आखिर जान से खिलवाड़ की इजाजत कैसे। बगैर जाँच के कैसे बँटे लाखों जूते-चप्पल? दोषी कौन।
क्या कहना है सरकार का 
सरकार की तरफ से पक्ष रखते हुए और सभी आरोपों का खंडन करते हुए वन मंत्री गौरीशंकर शेजवार ने कहा था कि अभी तक केवल आठ लाख 13 हजार जूते-चप्पल ही बांटे गए हैं और जो जूते आदिवासियों को बांटे जाएंगे उन्हें एफडीडीआई और केंद्रीय चर्म अनुसंधान संस्थान से टेस्टिंग के बाद ही वितरित किया जाएगा।
क्या है पूरा मामला ?
     दरअसल सरकार अब तक करीब 10 लाख से ज्यादा आदिवासियों को जूते-चप्पल बांट चुकी है और इन्हीं जूते-चप्पलों से कैंसर होने की आशंका का आरोप कांग्रेस लगा रही है। मध्य प्रदेश कांग्रेस की प्रवक्ता शोभा ओझा ने शिवराज सरकार पर कटाक्ष करते हुए मध्य प्रदेश के आदिवासियों से अपील की है कि वो सीएम के जरिए बांटे गए जूते-चप्पल न पहनें, उनमें कैंसर हो सकता है। बता दें कि मध्य प्रदेश में 22 लाख से ज्यादा तेंदूपत्ता संग्राहक हैं।
कैसे हो सकता है कैंसर
    बताया जा रहा है कि अगर आदिवासी के पांव में कांटा लग गया या किसी वजह से जख्म हो जाए और वह इस चप्पल को पहने तो कैंसर पैदा करने वाला रसायन खून में शामिल हो जाएगा। जिससे कि कैंसर हो सकता है।

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