नरसिंहपुर के छोटे से किसान ने जैविक कृषि पद्धति से की प्रसिद्धि हासिल, मिले कई अवार्ड
किसानी के नवाचार ने उन्हें बुलंदियों पर पहुंचा दिया।
उनके कृषि फार्म में गन्ने से बने जैविक उत्पाद की भारत में ही नहीं बल्कि सिंगापुर, दुबई, श्रीलंका जैसे कई देशों में मांग है।
वे भारत के ऐसे पहले किसान है, जिन्होंने जैविक गुड़ की कैंडी बनाकर एक, दो नहीं बल्कि कई अवॉर्ड अपने नाम किये है, देखिए इसी पर यह खास रिपोर्ट।
नरसिंहपुर के छोटे से गांव करताज के एक साधारण किसान ने परम्परागत खेती में नवाचार के जरिए जो सफलता हासिल की है, वह केवल भारत ही नहीं बल्कि कई देशों में बुलंदी का परचम लहरा रहा है।
करताज गांव के किसान राकेश दुबे के जैविक उत्पाद सिंगापुर, दुबई, मॉरिशस, और श्रीलंका तक निर्यात हो रहे है, राकेश दुबे गन्ने के गुड से बनी कैंडी बनाने वाले देश के पहले किसान है।
उनके फार्म हाउस में बने गन्ने के उत्पादों को आज देश के प्रत्येक राज्यो में पसंद किया जाता है, साथ ही, कई अन्य देशों में भी उनके उत्पादों की काफी डिमांड है।
उनके फॉर्म हाउस में लगभग 12 तरह के गुड के उत्पाद जैविक विधि से तैयार किये जाते हैं, इन्ही नवाचार के चलते उन्हें कृषक फेलो, कृषि वैज्ञानिक और कृषि उदय सहित अनेकों सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है। साथ ही सरकार द्वारा उन्हें चीन और नेपाल भी कृषि अनुसंधान से जुड़े प्रोजेक्ट के लिए भेजा जा चुका है।
जिले के कृषि गन्ना आयुक्त बताते हैं कि राकेश दुबे नरसिंहपुर के इकलौते ऐसे किसान हैं, जो पूरी तरह जैविक पद्धति से खेती करते हैं, वे सभी उत्पाद जैविक तरीके से बनाते हैं।
उन्होंने सफलता का जो कीर्तिमान हासिल किया है वह दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा दायीं है, जो खेती को नवाचार के जरिए लाभ का धंधा बना सकते हैं।
नरसिंहपुर जिले मैं प्रदेश का एक तिहाई गन्ने का उत्पादन होता है।
ऐसे में एक किसान के नवाचार ने खेती के तरीके को जिस तरह लोगों के सामने पेश किया हैं, वह एक मिसाल हैं।
छोटे से गांव के किसान ने जो मुकाम हासिल किया है, वह काबिले तारीफ ही नहीं, बल्कि जो खेती को लाभ का धंधा बनाना चाहते हैं, उनके लिए एक मिसाल है।
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