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भीमा कोरेगांव हिंसा: SC का पांचों आरोपियों को नजरबंद रखने का आदेश

पुणे: सुप्रीम कोर्ट ने नक्सल कनेक्शन मामले में मुंबई पुलिस को बड़ा झटका देते हुए कहा कि सभी पांचों आरोपी हाउस अरेस्ट रहेंगे तथा किसी को भी रिमांड पर ​नहीं लिया जाएगा। कोर्ट ने मुंबई पुलिस से मंगलवार तक जवाब मांगा है। अगले गुरुवार को सुनवाई फिर होगी।
    उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र पुलिस ने कई राज्यों में वामपंथी कार्यकर्त्ताओं के घरों में मंगलवार को छापा मारा और माओवादियों से संपर्क रखने के संदेह में पांच लोगों को गिरफ्तार किया था। वहीं, इस कार्रवाई का मानवाधिकार के पैरोकारों ने एक सुर में विरोध किया है। गिरफ्तारी पर पुणे पुलिस ने साफ किया है कि ये छापे पुख्ता सबूतों के बाद मारे गए हैं। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि आने वाले दिनों में इस तरह के और छापे पड़ सकते हैं। वहीं यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट की चौखट तक पहुंच गया है। कुछ अन्य वामपंथियों ने गिरफ्तारी के खिलाफ याचिका डाली है, जिसकी सुनवाई दोपहर को ही होगी।
मोदी को लिखा था धमकी भरा खत
   भीमा-कोरेगांव हिंसा के सिलसिले में जून में की गई छापेमारी में प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश का मामला सामने आया था। सुरक्षा अधिकारियों ने कहा कि बीते कुछ महीनों में दो पत्र मिले हैं जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह तथा गृह मंत्री राजनाथ सिंह की हत्या की माओवादियों की साजिश का पता चलता है।पुलिस ने दावा किया कि उसने ईमेल, दस्तावेजों और साहित्य के रुप में सबूत एकत्र किए हैं जिनसे लगता है कि माओवादी पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या की तर्ज पर मोदी की हत्या को अंजाम देने की योजना बना रहे थे। पुणे पुलिस के विशेष दल ने तेलंगाना के स्थानीय पुलिस की मदद से वरिष्ठ पत्रकार के वी कुर्मनाथ, टी क्रांती और एक फोटोग्राफर के हैदराबाद स्थित घरों पर भी छापे मारे। कुर्मनाथ, राव का दामाद है।
दिल्ली हाईकोर्ट में आज होगी पेशी
   गिरफ्तार नागरिक अधिकार कार्यकर्त्ता गौतम नवलखा को आज फिर दिल्ली हाईकोर्ट में पेश किया जाएगा। कोर्ट ने कल निर्देश दिया था कि कथित गैरकानूनी गतिविधियों के लिए महाराष्ट्र पुलिस द्वारा गिरफ्तार नागरिक अधिकार कार्यकर्त्ता गौतम नवलखा को राष्ट्रीय राजधानी से तब तक बाहर नहीं ले जाया जाए, जब तक कि वह बुधवार सुबह मामले पर सुनवाई नहीं कर लेती, क्योंकि उनके खिलाफ लगाए गए कुछ आरोप स्पष्ट नहीं हैं। न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति विनोद गोयल की पीठ ने कहा कि दस्तावेजों से यह पता नहीं चलता है कि नवलखा के खिलाफ क्या मामला है।

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