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दिवस ख़ास - सोमवार



चंद्रमा को सोम, मयंक, सुधाकर, राकेश, रजनीश, शीतांशु, शशि, रजनीपति, कलानिधि, इंदु, मृगांक एवम शशांक आदि नामों से भी जाना जाता है. चंद्रमा को शुभ ग्रह माना गया है. यह कर्क राशि का स्वामी है. चंद्रमा वृषभ राशि में उच्च का तथा वृश्चिक राशि में नीच का होता है. चंद्रमा का स्थान कालपुरुष के हृदय और कंठ पर बताया गया है.  चंद्रमा को काल पुरुष का मन कहा गया है. ज्योतिष में चंद्रमा को राजा कहा गया है. चंद्रमा सफेद रंग का है, तथा वायव्य दिशा का स्वामी है. चंद्रमा सजल है. चंद्रमा का वर्ण वैश्य है तथा सत्वगुणी है. चंद्रमा नमकीन स्वाद का स्वामी है तथा चंद्रमा को ज्योतिष में प्रौढ़ बताया गया है. चंद्रमा सुख भाव का कारक है. चंद्रमा को पितृलोक का अधिपति माना गया है. चंद्रमा सुंदर नेत्र, गोल चेहरा, अधिक वात और कफ वाला, मेधावी, बुद्धिमान और मीठे वचन बोलने वाला है. जन्म कुंडली में चंद्रमा की स्थिति से मन, बुद्धि, व्यवहारिक ज्ञान, राजा की प्रसन्नता, माता और सुख का विचार किया जाता है. चंद्रमा घटी का अधिपति होता है. नैसर्गिक ग्रह मैत्री के अनुसार सूर्य और बुध चंद्रमा के मित्र ग्रह हैं. मंगल ,बृहस्पति, शुक्र, शनि के साथ सम स्थिति है तथा चंद्रमा का कोई शत्रु ग्रह नहीं है. चंद्रमा की पीड़ा से कफ की बीमारी, रक्त विकार, अतिसार ,नाक के रोग आदि होते हैं. चंद्रमा के मंत्र की जप संख्या 11 हजार है. इसे विधि पूर्वक जपकर चंद्र यंत्र धारण करने से रोग एवं कष्ट दूर होते हैं.
चंद्र मंत्र - ओम सौं सोमाय नमः
चंद्र रत्न - मोती वैकल्पिक रत्न-  सफेद हकीक धातु - चांदी धारण दिन - सोमवार समय - सायं काल अंगुली - अनामिका या कनिष्ठा
चन्द्रदान -  सफेद कपड़ा, चावल, शक्कर, दही, मोती, कपूर, सफेद चंदन, फूल, चांदी,घी, शंख एवं गो 




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